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3 तलाक, कासगंज, पद्मावत…. सरकार और विपक्ष में संग्राम के पूरे आसार

नई दिल्ली
संसद के आज से शुरू हो रहे बजट सत्र में सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच संग्राम छिड़ने के पूरे आसार बन गए हैं। रविवार को सर्वदलीय बैठक में सरकार के साथ ही विपक्ष ने भी इसके साफ संकेत दे दिए। सरकार ने साफ कर दिया है कि वह विपक्ष के विरोध के बावजूद तीन तलाक बिल को राज्य सभा से पारित कराने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। वहीं, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार को तीन तलाक के साथ ही दूसरे ताजा मुद्दों पर घेरने की रणनीति के संकेत दिए। आज सत्र से पहले विपक्षी दलों की बैठक भी होगी। संसद में यूपी के कासगंज में सांप्रदायिक हिंसा का मुद्दा भी छा सकता है। हालांकि विपक्षी दलों की ओर से बजट पेश होने तक विवादित मुद्दों को उठाने से बचा जा सकता है। ऐसे में बजट के बाद सदन में घमासाम देखने को मिल सकता है। आइए आपको बताते हैं बजट सत्र में सरकार और विपक्ष के बीच किन मुद्दों पर छिड़ सकता है संग्राम…तीन तलाक पर नहीं झुकेगी सरकार!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को सर्वदलीय बैठक में बजट सत्र को कामयाब बनाने के लिए विपक्ष से सहयोग की मांग जरूर की, लेकिन इसकी उम्मीद कम ही दिख रही है। तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार के साथ ही विपक्ष भी अपने रुख पर अड़ा है। संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने साफ किया कि तीन तलाक बिल सरकार की प्रायॉरिटी लिस्ट में टॉप पर है। अनंत कुमार ने कहा, विपक्ष को तीन तलाक बिल के मामले में जीएसटी जैसी सर्वसम्मति दिखानी चाहिए।’ उन्होंने बिल को सिलेक्ट कमिटी में भेजने की विपक्षी दलों की मांग को खारिज किया। अनंत कुमार ने कहा कि अब यह बिल राज्य सभा की प्रॉपर्टी है। राज्य सभा ही इस बारे में फैसला करेगी। सरकार के इस रुख से साफ है कि तीन तलाक पर राज्य सभा में फिर घमासान होगा।

कांग्रेस और विपक्षी दलों की यह रहेगी रणनीति!
रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक में विपक्षी दलों ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट के चार जजों की ओर से उठाए गए मुद्दों के बाद ‘न्यायपालिका में संकट’ के मुद्दे पर दोनों सदनों में चर्चा के लिए दबाव डालेंगे। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने बैठक में ‘न्यायपालिका संकट’ का जिक्र करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट से जुड़े विवादास्पद घटनाक्रम पर संसद में चर्चा करने की जरूरत है। सीपीआई के डी. राजा सहित कुछ नेताओं ने खड़गे की बात का समर्थन किया। अकाली दल के नरेश गुजराल ने कहा कि बहस में छोटे दलों को भी पक्ष रखने के लिए पर्याप्त समय मिलना चाहिए।

इन मोर्चों पर भी की जा सकती है सरकार की घेराबंदी
-विपक्ष हरियाणा में हो रही दुष्कर्म की घटनाओं पर केंद्र से सवाल पूछ सकता है।
-गणतंत्र दिवस पर राहुल गांधी को पिछली पंक्ति में सीट देने का भी सवाल उठाया जा सकता है।
-यूपी के कासगंज में जारी हिंसा के मुद्दे पर भी घमासान हो सकता है।
-एसपी किसानों और युवाओं की बेरोजगारी का मुद्दा उठा सकती है। मुलायम ने सर्वदलीय बैठक में इसके संकेत दिए।

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