मुंबई
बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को एक दिलचस्प टिप्पणी करते हुए अदालत में पिछले कई दिनों से लंबित एक मामले में स्टे देने से इनकार कर दिया। अदालत में जारी एक मामले पर स्टे देने से इनकार करते हुए जस्टिस गौतम पटेल की खण्डपीठ ने हलफनामा दायर करने में देरी करने वाली एक संस्था पर करीब साढ़े चार लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। जानकारी के मुताबिक साल 2009 में बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर एक मुकदमे पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इससे जुड़े दोनों पक्षों को सितम्बर 2016 में रजिस्ट्री के समक्ष हलफनामे प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद जब पिछले सप्ताह जब यह मुकदमा जस्टिस गौतम पटेल के समक्ष फिर प्रस्तुत हुआ तो इस मामले में वादी राम नगर ट्रस्ट के वकीलों ने हलफनामा सौंपने के एक लिए एक हफ्ते का वक्त और मांगा। इसके विरोध में प्रतिवादी ट्रस्ट ने यह दलील दी कि मामले से जुड़ा दूसरा पक्ष फिर से इस मुकदमे पर स्टे चाहता है। प्रतिवादी ट्रस्ट की दलील पर सहमति देते हुए जस्टिस पटेल ने इस मुकदमे की देरी पर नाराजगी दिखाई।
हलफनामा दायर करने में देरी पर साढ़े चार लाख जुर्माना
वहीं इस मामले में हलफनामा दायर करने में हुई करीब 450 दिनों की देरी पर सख्त कार्रवाई करते हुए वादी ट्रस्ट पर करीब साढ़े चार लाख रुपये का जुर्माना लगाया और इस राशि को प्रतिवादी पक्ष को देने के निर्देश भी दिये। अपने इस आदेश के दौरान सख्त टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा, ‘अब और स्थगन नहीं, तारीख पर तारीख और नहीं। अब बहुत हो गया।’ बता दें कि बॉम्बे हाई कोर्ट से पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी देश की अदालतों में मुकदमों की देरी और तारीख पर तारीख की प्रवृत्ति पर चिंता जाहिर करते हुए इस पर रोक लगाने और प्रभावी कदम उठाने की अपील की थी।