
आधार की वैधता को चुनौती देने वालों से सुप्रीम कोर्ट ने पूछे सवाल
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने आधार की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वालों से मंगलवार को जानना चाहा कि नेटवर्क से जुड़ी आज की दुनिया में जब प्राइवेट संस्थाओं के पास पहले से लोगों की निजी जानकारियां मौजूद हैं, तो किसी का आधार नंबर दे देने से क्या फर्क पड़ जाएगा? चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान बेंच ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए सीनियर वकील श्याम दीवान से यह सवाल पूछा। कोर्ट ने कहा कि लोगों का पर्सनल डेटा पहले से प्राइवेट कंपनियों के पास है, अगर उसमें आधार को भी शामिल कर लिया जाए तो इससे क्या बदलाव होगा? सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि आधार का पंजीयन कराने के समय जो बायॉमेट्रिक इन्फर्मेशन ली जाती है, उसे एक सेंट्रल डेटाबेस में जमा किया जाता है और नागरिकों को अपनी पहचान स्थापित करने के लिए सिर्फ 12 अंकों वाला अपना नंबर बताना होता है। याचिकाकर