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तीन तलाक: बोले मुस्लिम संगठन, विधेयक पर हमसे मशविरा करना चाहिए था

लखनऊ
आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे मुस्लिम महिला संगठनों ने केंद्रीय मंत्रिमण्डल द्वारा तीन तलाक के खिलाफ विधेयक को मंजूरी दिए जाने पर कहा कि ऐसा करने से पहले सरकार को उनसे और मुस्लिम विद्वानों से राय-मशविरा करना चाहिए था।

आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी ने कहा कि, ‘तीन तलाक संबंधी विधेयक के मसौदे को हरी झंडी दिखाने से पहले सरकार का मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों और विद्वानों से राय लेना बहुत जरूरी था।’ उन्होंने कहा, ‘अगर हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहते हैं तो हमें एक मौका दिया जाना चाहिए था। पर्सनल लॉ बोर्ड और मुस्लिम समुदाय बार-बार कहता है कि हम भी तीन तलाक को रोकना चाहते हैं। अगर सरकार का मकसद वाकई इसे रोकना ही है तो इसे रोकने का इस्लामी तरीका ज्यादा स्वीकार्य होगा। यदि कानून थोपा जाएगा तो ठीक नहीं होगा।’

नोमानी ने आशंका जताई कि कहीं नरेन्द्र मोदी सरकार तीन तलाक के मुद्दे को सरगर्म करके बैंकों में जमा आम लोगों के धन से संबंधित एफआरडीआई की तरफ से ध्यान तो नहीं हटाना चाहती है। उन्होंने कहा कि, ‘आज जरूरत इस बात की है कि पूरे देश के लोग चिंतन-मनन करें कि यह सरकार करने क्या जा रही है। पूरी संभावना है कि संसद में पहले दिन तीन तलाक संबंधी विधेयक को पारित कर दिया जाएगा और यह मीडिया की खास तवज्जो पा जाएगा। उसके बाद जो बिल आएंगे, उनकी तरफ किसी का ध्यान नहीं जाएगा।’

तीन तलाक के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में लड़ाई लड़ चुकीं आल इण्डिया मुस्लिम विमिन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर ने भी कहा कि उन्हें शिकायत है कि गुजारिश के बावजूद केंद्र सरकार ने तीन तलाक संबंधी विधेयक तैयार करने के लिये मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों कोई बात नहीं की।

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