नई दिल्ली.हाईप्रोफाइल आरुषि-हेमराज मर्डर केस में डॉक्टर दंपती राजेश और नूपुर तलवार की रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। शुक्रवार को तलवार फैमिली के नौकर हेमराज की पत्नी इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची। बता दें कि 9 साल पुरानी मर्डर मिस्ट्री में 13 अक्टूबर को तलवार दंपती बरी हुए हैं। इसके पहले गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने दोनों को बेटी और नौकर की हत्या का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। तब से वे डासना जेल में थे। उन्होंने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में पिटीशन दायर की थी।
हाईकोर्ट ने फैसले में और क्या कहा?
– सीबीआई कोर्ट ने जिन आधार पर राजेश और नूपुर को सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने उन्हें नाकाफी करार देते हुए दोनों को बरी कर दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस बीके. नारायण और जस्टिस एके. मिश्रा की बेंच ने कहा था- मौजूद सबूतों के आधार पर तलवार दंपती को दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
– हाईकोर्ट ने 13 अक्टूबर को दिए फैसले में कहा कि तलवार दंपती को दोषी ठहराने के लिए हालात और सबूत काफी नहीं हैं। यह कहते हुए बेंच ने गाजियाबाद की सीबीआई अदालत के 28 नवंबर, 2013 के फैसले को पलट दिया था। इस कोर्ट ने ही आरुषि के माता-पिता को दो कत्लों का दोषी मानते हुए उम्रकैद सुनाई थी।
– बेंच ने कहा कि हालात और कोर्ट के सामने पेश किए गए सबूतों की कड़ी से यह साबित नहीं होता कि वो आरुषि और हेमराज के कत्ल में शामिल थे। हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि बेनिफिट ऑफ डाउट (संदेह का लाभ) देने के लिए यह बिल्कुल फिट केस है।
– बता दें कि सीबीआई कोर्ट के जज श्यामलाल ने तलवार दंपती को सजा सुनाते वक्त परिस्थितिजन्य सबूतों (circumstantial evidence) का हवाला दिया था। उन्होंने कहा था कि जब परिस्थितिजन्य सबूत मौजूद हों तो मोटिव का बहुत ज्यादा महत्व नहीं रह जाता।
सीबीआई कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने क्या कहते हुए पलटा था
CBI कोर्ट ने क्या कहा था | हाईकोर्ट ने क्या कहा |
आरोपियों के इरादे को सबूत बताकर पेश नहीं कर पाने की सीबीआई की नाकामी के ये मायने नहीं हैं कि आरोपी की मानसिक स्थिति क्राइम करने की नहीं थी। | अॉन रिकॉर्ड जो सबूत हैं, क्या उनसे किसी आरोपी को दोषी करार देने की एक-एक कड़ी जुड़ पा रही है? |
अगर मकसद साफ नहीं है, तब भी circumstantial evidence के बेस पर दोषी करार दिया जा सकता है। | ये अपील करने वालों को बेनिफिट ऑफ डाउट देने का सबसे फिट केस है।और हालात और सबूत तलवार दंपती को दोषी करार देने के लिए काफी नहीं हैं। |
1) क्या है मामला ?
– 16 मई 2008 को दिल्ली से सटे नोएडा के जलवायु विहार स्थित घर में 14 साल की आरुषि का मर्डर कर दिया गया था। आरुषि की हत्या गला रेत कर की गई थी। करीब साढ़े पांच साल चली जांच और सुनवाई के बाद सीबीआई स्पेशल कोर्ट ने उसके माता-पिता नूपुर और राजेश तलवार को दोषी करार दिया।
– यह मामला लंबे वक्त तक सुर्खियों में छाया रहा था। लोग आरुषि के कातिलों को सजा दिलाने के लिए सड़कों पर उतर आए थे। उस वक्त उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी।
2) कितने लोगों का मर्डर हुआ था?
– 2 लोगों का मर्डर हुआ था। आरुषि और हेमराज का। हेमराज (45) की बॉडी आरुषि के मर्डर के एक दिन बाद तलवार दंपती की छत पर एक कूलर पैनल के नीचे दबी मिली थी। बता दें कि हेमराज तलवार दंपती के घर पर काम करता था।
4) कितने लोग इस केस में सस्पेक्ट माने गए?
–इस केस में शुरुआती जांच में 3 नौकर और तलवार दंपति समेत कुल पांच लोगों को सस्पेक्ट माना गया। तीनों नौकरों को सबूत न मिलने की वजह रिहा कर दिया गया।
1) कृष्णा थंडाराज:राजेश तलवार के नोएडा के क्लिनिक में काम करता था। वह हेमराज का दोस्त था। जलवायु विहार के आसपास ही रहता था।
2) राजकुमार:यह नेपाल से है। घर का काम देखता था। तलवार दंपती के दोस्त दुर्रानी के घर का काम भी संभालता था।
3) विजय मंडल: यह तलवार दंपती के पड़ोसी के घर में काम करता था।
4) खुद तलवार दंपती डॉ. राजेश और नूपुर तलवार। बाद में इन्हें दोषी माना गया।
5 ) कहां सजा काट रहे हैं तलवार दंपती
– नूपुर और राजेश तलवार गाजियाबाद की डासना जेल में उम्रकैद काट रहे हैं।
6) इलाहाबादहाईकोर्ट में आखिरी सुनवाई कब हुई?
– तलवार दंपती ने सीबीआई स्पेशल कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। जस्टिस बीके नारायण और जस्टिस एके मिश्रा ने इस साल 7 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
7) कौन हैं तलवार दंपती?
– तलवार दंपती दिल्ली-एनसीआर के जाने माने डेंटिस्ट रहे हैं। डॉ. राजेश पंजाबी और नूपुर महाराष्ट्रियन परिवार से हैं। नुपुर एयरफोर्स के अफसर की बेटी हैं और डॉ. राजेश के पिता हार्ट स्पेशलिस्ट रहे हैं। आरुषि का जन्म 1994 में हुआ था।
8) इस केस की कितनी टीम ने जांच की?
– इस मामले की जांच सबसे पहले यूपी पुलिस ने शुरू की थी। शुरुआती जांच में पुलिस ने तलवार दंपती को शक के घेरे में लिया था। बाद में यह जांच सीबीआई को सौंपी गई। 31 मई 2008 को इस केस की जांच उस वक्त के सीबीआई ज्वाइंट डायरेक्टर अरुण कुमारके हाथ में आई। उन्होंने तलवार दंपती को क्लीन चिट दी और तीन नौकरों को सस्पेक्ट माना।
– नोएडा पुलिस दावा किया था कि आरुषि-हेमराज का कातिल कोई और नहीं बल्कि उसके पिता डॉक्टर राजेश तलवार हैं। इस थ्योरी के पीछे पुलिस ने ऑनर किलिंग की दलील रखी। 23 मई, 2008 को पुलिस ने बेटी की हत्या के आरोप में राजेश तलवार को अरेस्ट कर लिया था।
– इसके बाद, सितंबर 2009 में फिर से सीबीआई की दूसरी टीम ने जांच शुरू की। इस बार सीबीआई के अफसर एजीएल कौर ने जांच शुरू की। उन्होंने तलवार दंपती को प्राइम सस्पेक्ट माना।
9) कब क्या हुआ ?
– 16 मई, 2008 :आरुषि तलवार की डेड बॉडी घर में मिली।
– 17 मई, 2008 : नेपाल के रहने वाले नौकर हेमराज की लाश छत पर मिली, उसी पर आरुषि की हत्या का आरोप राजेश तलवार ने लगाया था।
– 18 मई 2008: जांच में यूपी एसटीएफ को भी लगाया गया। पुलिस ने कहा कि दोनों मर्डर बेहद सफाई से किए गए। साथ ही, पुलिस ने माना कि मर्डर में परिवार से जुड़े किसी शख्स का हाथ है।
– 19 मई, 2008:तलवार परिवार के पूर्व घरेलू नौकर विष्णु शर्मा पर भी पुलिस ने शक जाहिर किया।
– 21 मई, 2008: यूपी पुलिस के साथ ही दिल्ली पुलिस भी जांच में शामिल हुई।
– 22 मई, 2008: आरुषि की हत्या के ऑनर किलिंग होने का शक पुलिस ने जाहिर किया। इस पहलू से भी जांच शुरू की गई। पुलिस ने आरुषि के लगातार संपर्क में रहे एक नजदीकी दोस्त से भी पूछताछ की। इस दोस्त से आरुषि ने 45 दिनों में 688 बार फोन पर बात की थी।
– 23 मई, 2008 : पुलिस ने डॉ. राजेश तलवार को मर्डर के आरोप में अरेस्ट किया।
– 29 मई, 2008: जांच सीबीआई के हवाले।
– 01 जून, 2008 : सीबीआई ने जांच शुरू की।
– 03 जून, 2008: कम्पाउंडर कृष्णा को पूछताछ के लिए सीबीआई ने हिरासत में लिया।