नई दिल्ली
अगले साल होने वाले कई महत्वपूर्ण टूर्नमेंटों के मद्देनजर मानसिक दृढ़ता (मेंटल स्ट्रॉन्ग) बढ़ाने के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम न्यूरोट्रैकर कार्यक्रम का इस्तेमाल कर रही है। कोच हरेंद्र सिंह इस तकनीक के साथ ही आत्मविश्वास के जरिए खिलाड़ियों को मजबूत बनाने में जुटे हैं। अमेरिका और कनाडा में काफी लोकप्रिय न्यूरोट्रैकर कार्यक्रम का इस्तेमाल ओलिंपिक पदक विजेता, एनएफएल, एनबीए और ईपीएल खिलाड़ी मानसिक तैयारी के लिए करते आए हैं।
भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) ने अक्टूबर में प्रायोगिक आधार पर इसे शिविर में दिया और मौजूदा शिविर में भारतीय टीम नियमित तौर पर इसके 15 से 20 मिनट के सत्र ले रही हैं। हरेंद्र ने कहा, ‘हमने अक्टूबर में प्रायोगिक आधार पर न्यूरोट्रैकर का इस्तेमाल किया था, लेकिन अब रोज इसके सत्र हो रहे हैं। खिलाड़ियों की एकाग्रता बढ़ाने के लिए इसका प्रयोग होता है। मैच के वास्तविक नतीजों से इसके महत्व का पता चलेगा, लेकिन तैयारी के दौरान मुझे खिलाड़ी अधिक फोकस नजर आ रहे हैं।
कप्तान रानी ने कहा, ‘अगले साल हमें राष्ट्रमंडल खेल, एशियाई चैंपियंस ट्रोफी, एशियाई खेल और वर्ल्ड कप जैसे बडे़ टूर्नमेंट खेलने हैं और बड़ी टीमों के खिलाफ मानसिक तैयारी भी शीर्ष स्तर की होनी चाहिए। 4-5 खिलाड़ी रोज 15 से 20 मिनट के न्यूरोट्रैकर सत्र में जाते हैं। इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। इसके तहत खिलाड़ियों को थ्री डी स्क्रीन के सामने थ्री डी चश्मे पहनकर बैठना होता है। स्क्रीन पर 8 गेंद घूम रही होती है, जिनमें चार नारंगी और चार हरे रंग की होती हैं। खिलाड़ियों को नारंगी रंग की गेंद पर फोकस करने को कहा जाता है और उनसे पूछा जाता है कि ये गेंद कहां जाती हैं। इससे उन्हें फोकस करने में मदद मिलती है।’
भारतीय महिला हॉकी टीम ने 2002 मैनचेस्टर राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था और 4 साल बाद मेलबर्न मे रजत पदक अपने नाम किया। इसके बाद हालांकि उसकी झोली खाली रही, लेकिन कोच और कप्तान को यकीन है कि अप्रैल में गोल्ड कोस्ट में भारत के हिस्से में फिर पदक आएगा। रानी ने कहा, ‘हम राष्ट्रमंडल स्वर्ण को ध्यान में रखकर ही तैयारी कर रहे हैं। इससे आने वाले टूर्नमेंटों के लिए टीम का मनोबल बढे़गा। हमने इस साल जापान में चीन और जापान जैसी बेहतर रैंकिंग वाली टीमों को हराकर एशिया कप जीतकर अपनी क्षमता साबित की है और हम उस लय को आगे भी कायम रखना चाहेंगे।’
कोच हरेंद्र ने भी कहा कि एशिया कप में मिली जीत ने टीम के लिए टॉनिक का काम किया है और खिलाड़ियों में किसी भी टीम को हराने का आत्मविश्वास आ गया है। उन्होंने कहा, ‘हमारा पहला लक्ष्य राष्ट्रमंडल खेलों में पोडियम फिनिश है। इसके बाद एशियाई खेल जीतकर ओलिंपिक में सीधे जगह बनाना चाहेंगे और मुझे यकीन है कि मेरी टीम मानसिक रूप से इतनी मजबूत है कि किसी भी टीम को हरा सके।