नई दिल्ली
साउथ दिल्ली पुलिस ने एक ऐसे कारचोर गैंग के मुखिया को पकड़ा है, जो जल्द ही ओला-ऊबर की तरह अपनी कैब कंपनी खोलना चाह रहा था। यह कंपनी आगरा में खोली जानी थी। इसके लिए उसने काम भी शुरू कर दिया था। यही नहीं कार चोरी करने के लिए वह बाकायदा एक कंपनी चला रहा था। इसमें कम से कम 40 लोग काम कर रहे थे। इनमें से कई को यह सैलरी और अधिक कार चुराने वाले कार चोर को ज्यादा इन्सेंटिव भी देता था। यही नहीं, कार चोरी करने और चोरी की गई कारों को बेचते वक्त वह मोबाइल जैमर का इस्तेमाल करता था ताकि कोई पुलिस को खबर न दे सके। डीसीपी रोमिल बानिया ने बताया कि इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें सुबोध यादव (37) और विपिन कुमार (42) हैं। कार चोर गैंग का चीफ सुबोध यादव बताया गया है। इन दोनों को सूचना के आधार पर एएटीएस के एसीपी पलविंदर सिंह चहल और इन्स्पेक्टर रिछपाल सिंह की टीम ने पकड़ा है।
पुलिस ने बताया कि इटावा यूपी का रहने वाला सुबोध 10 साल से भी अधिक समय से कार चुराने का धंधा कर रहा है। यह महंगी गाड़ियां ही चुराता है। इन्हें चुराने के लिए पिछले करीब एक साल से जैमर का भी इस्तेमाल कर रहा था। यह तरीका इसने एक मूवी में देखा था। वहीं से इसने जैमर का इस्तेमाल करने की सोची। इसके इसे दो फायदे मिलने लगे। पहला वारदात को अंजाम देते वक्त किसी के पुलिस को फोन करने का डर नहीं, दूसरे चोरी की गाड़ियों को बेचने की डील करते वक्त किसी के मुखबिरी करने का डर नहीं।
इन दोनों को पकड़ने वाली पुलिस टीम ने बताया कि उन्हें लगता है कि यह गैंग अभी तक सात हजार से भी अधिक कारों को चुरा चुका है। इस तरह से देखा जाए तो यह दिल्ली-एनसीआर का सबसे बड़ा कार चोर है।