नई दिल्ली
फाइनैंस और एक्सपेंडिचर सेक्रटरी अशोक लवासा का कहना है कि रिफॉर्म के अगले दौर में बिना इजाजत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) वाले क्षेत्रों की संख्या बढ़ाई जा सकती है और साथ ही कुछ सेक्टर्स में इसकी सीमा में बढ़ोतरी हो सकती है। दीपशिखा सिकरवार और विनय पांडेको दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि इस सरकार का ध्यान योजनाओं पर अमल और उन्हें पूरा करने पर है:
यूनिवर्सल बेसिक इनकम (यूबीआई) पर आपकी क्या सोच है?
सब्सिडी को किस तरह से जरूरतमंद के हाथ में अच्छे ढंग से पहुंचाया जा सकता है, यूबीआई का अधिक लेना-देना इसी से है। इस पर विचार हो रहा है और अमल किया जाना चाहिए। इससे जुड़े सभी पक्षों को देखना चाहिए कि इसे किस तरह से एक योजना की शक्ल दी जा सकती है। एक्सपेंडिचर को बजट में काफी कम रखा गया है। यह जीडीपी का 12.7% है। यह कैसे होगा?
रियल टर्म में एक्सपेंडिचर बढ़ रहा है। 7-8 साल पहले हम आज के मुकाबले आधा पैसा ही खर्च कर रहे थे। बजट में इस बार इसे 21.47 लाख करोड़ रुपये रखा गया है। यह देखना कहीं ज्यादा जरूरी है कि पैसा कहां जा रहा है? वित्त वर्ष 2017 में बजट अनुमान से 1.68 लाख करोड़ रुपये अधिक खर्च हुआ। इसमें से ज्यादा रकम कृषि, ग्रामीण विकास और सामाजिक योजनाओं और इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च की गई। कुछ बड़ी योजनाओं पर अधिक पैसा खर्च हुआ। भारत नेट (गांवों को इंटरनेट से जोड़ने की योजना) पर बहुत कम चर्चा हुई है, जो डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर की बुनियाद है। भारत नेट में निवेश करने से लंबे समय में एक्सपेंडिचर की एफिशंसी बढ़ेगी।
7वें वेतन आयोग के भत्ते का भुगतान आपको अगले साल करना पड़ेगा। क्या इसके लिए बजट में अलग से रकम तय की गई है?
बजट में इसके लिए प्रावधान है। 2016-17 में भी सरकार को वेतन आयोग की वजह से 70,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ा था और यह पैसा दिया जा चुका है। भत्ते के लिए भी ऐसा ही होगा।
आपने वित्तीय घाटे को 3.2% पर क्यों रखा, 3.5% क्यों नहीं, इससे आपको खर्च करने की अधिक छूट मिलती?
इसकी वजह एनके सिंह कमिटी की रिपोर्ट है। इसमें फिस्कल डेफिसिट में आधा प्रतिशत ढील का सुझाव दिया गया था। हमारा ध्यान योजनाओं को पूरा करने पर है ना कि नई योजनाओं को शुरू करने पर। आप इस बजट में बहुत कम नई योजनाएं पाएंगे। हमारा ध्यान कंसॉलिडेशन पर है।
मुझे नहीं लगता कि पर्सनल टैक्स से आमदनी को लेकर हमने बड़ा अनुमान लगाया है। डायरेक्ट टैक्स में हम 15% बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं, जिसमें मुश्किल नहीं होगी। डिजिटल ट्रांजैक्शंस बढ़ने से अधिक लोग टैक्स के दायरे में आएंगे। विनिवेश से हमने 72,500 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। अगर हमने इसे 50,000 करोड़ रखा होता तो हम पर अनुमान कम रखने का आरोप लगाया जाता।