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यूपीः अब कुत्ते करेंगे शेरों की पहरेदारी

लखनऊ
दुधवा नैशनल पार्क  को अब दो नए गार्ड मिलने जा रहे हैं। ये दो गार्ड हैं जर्मन शेफर्ड और बेल्जियन मेलिनोइस। एक साल के इन दोनों कुत्तों को खास ट्रेनिंग दी गई है कि जंगल के अपराधों के खिलाफ उन्हें कैसे काम करना है। इन दोनों कुत्तों और उन्हें संभालने वालों के साथ कुत्तों के दस्ते का एक गठन बनेगा। उत्तर प्रदेश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब जंगल की सुरक्षा के लिए कुत्तों के दस्ते का गठन किया जा रहा है।

इस दस्ते के ठीक से काम करने के लिए कुत्तो के साथ उन्हें संभालने वालों को भी प्रशिक्षण  दिया गया है। कुत्तों को इस बात के लिए भी प्रशिक्षित किया गया है कि वह सिर्फ उन्हें संभालने वालों के हाथ से ही खाना खाएंगे। जंगल में किसी और का दिया और पड़ा हुआ कुछ भी नहीं खाएंगे। ऐसा उनकी सुरक्षा को देखते हुए किया गया है।

दी गई खास ट्रेनिंग
दोनों कुत्तों के साथ ही 11 अन्य कुत्तों को भी 9 महीने का प्रशिक्षण दिया गया है। ताकि उन्हें देश के विभिन्नटाइगर रिजर्व में छोड़ा जा सके। यूपी को इन्हीं 11 कुत्तों में से 2 कुत्ते दिए जाएंगे। इन दोनों कुत्तों के दो दस्ते बनेंगे एक दस्ता दुधवा में और दूसरा दस्ता कतर्नियाघाट के जंगल में तैनात किया जाएगा।

बेल्जियम मालिनोस को दुधवा और जर्मन शेफर्ड को कतर्नियाघाट + में तैनात किया जाएगा। इन दोनों ही जगहों पर कुत्तों के रहने के लिए उनके घर बनाकर तैयार कर दिए गए हैं। कम से कम 43 कुत्तों को पूरे देश के 13 राज्यों में बनाए गए नैशनल पार्क में रखा जाएगा। इनमें मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, बिहार और उत्तराखंड शामिल हैं।

शिकारियों पर भी नजर
ट्रैफिक इंडिया के निदेशक और आईएफएस डॉ. साकेत बडोल ने बताया कि कुत्तों का दस्ता  सिक्किम और अंडमान में भी तैनात किया जाएगा। कुत्तों को आज्ञापालन सिखाया गया है ताकि वे उनके मास्टर के बुलाने पर तत्काल प्रतिक्रिया दें। उन्हें इस बात का प्रशिक्षण दिया गया है कि जंगल में हड्डियां, खाल और कंकाल आदि मिलने पर उन्हें यह पता लग सके कि जंगल में कोई अपराध हुआ है।

डॉ. साकेत ने बताया कि कुत्ते इस मामले में भी कुशल हैं कि वे जंगल में आए शिकारियों और चोरों को भी पहचान सकें। ट्रैफिक इंडिया ने सभी कुतों को प्रशिक्षित किया है और वन विभाग से हुए एमओयू के तहत कुत्तों को वन विभाग को सौंपा गा है।

कुत्तों को मिलेगी सैलरी
उन्होंने बताया कि हम लोगों ने विभाग से यह भी कहा है कि वह उनके दो कर्मचारियों को भी प्रशिक्षण के लिए भेजे ताकि वे कुत्तों को संभाल सकें। उत्तर प्रदेश वन विभाग को अभी इन कुत्तों की रैंक और वेतन पर डेप्युटि डायरेक्टर महावीर के ने बताया कि यह पहली बार है कि उन लोगों को कुत्तों का दस्ता दिया जा रहा है। उन लोगों को अभी इस सिस्टम पर काम करना है। अभी उन लोगों के पास कुत्तों को संभालने वाले आ गए हैं।

दोनों कुत्ते बेल्जियम मालिनोस और जर्मन शेफर्ड ने प्रशिक्षण के दौरान बहुत अच्छी प्रतिक्रिया दी है। इन्हें पुलिस और सुरक्षा फोर्स ने भी प्रयोग करके देखा है। ये कुत्ते एक घरेलू कुत्ते की तरह भी हैं।

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