मुंबई
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता छगन भुजबल और उनके भतीजे समीर भुजबल को सोमवार को न्यायालय से उस समय भारी झटका लगा जब न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया। इन दोनों को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया गया है। समीर लोकसभा के पूर्व सांसद हैं। छगन भुजबल महाराष्ट्र के सार्वजिनक काम विभाग (पीडब्ल्यूडी) के मंत्री रह चुके हैं। इन दोनों की जमानत याचिका को पीएमएलए कोर्ट के न्यायाधीश एम.एस आजमी ने खारिज किया।
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से यह कयास लगाया जा रहा था कि अदालत उन्हें जमानत पर रिहा कर देगी। इस आशा का कारण यह था कि पिछले महीने ही उच्चतम न्यायालय ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी की जमानत पाने के लिए लगाई गई एक कठोर शर्त को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि यह ‘मनमाना’ तरीका है। यह शर्त इस कानून की धारा 45(1) में है और इसके बारे में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि जमानत के लिए आवेदन करने से पहले कोई शर्त लगाना ‘अनुचित’ है। भुजबल की जमानत की अर्जी काफी पहले से ही न्यायालय के सामने थी।
उच्चतम न्यायालय की इस ताजा टिप्पणी के बाद ही इस न्यायालय ने इस याचिका की सुनवाई की। विशेष सरकारी वकील हितेन वणगांवकर ने कहा कि यह साबित करना आरोपी के ऊपर ही है कि आपराधिक गतिविधि से धन कमाने का जो आरोप उन पर लगाया गया है, वह सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि भुजबल की जमानत याचिका में 30 करोड़ रुपये की मनी लॉन्ड्रिंग बताई गई है, लेकिन पूछताछ में उन्होंने माना कि उन्होंने 800 करोड़ रुपये के धन की लॉन्ड्रिंग की है।
सरकारी वकील ने कहा कि छगन भुजबल प्रभावी व्यक्ति हैं और यदि उन्हें जमानत पर रिहा किया गया तो वे सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं। वकील ने यह भी कहा कि उनके विदेशी निवेश के बारे में भी अभी तक जांच पूरी नहीं हो पाई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भुजबल ने 900 करोड़ रुपये के गैरकानूनी सौदे किए हैं।