मुंबई
महाराष्ट्र में निवास प्रमाण पत्र, पैन कार्ड, आधार कार्ड और पासपोर्ट से जुड़ी सेवाओं को जनता को मुहैया कराने के लिए राज्य सरकार द्वारा शुरू किए गए ई-सेवा केंद्रों पर अब योग गुरु बाबा रामेदव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद के उत्पादों को भी एक ‘सेवा’ के रूप में लिस्टेड किया गया है। हालांकि इसके लिए कंपनी और महाराष्ट्र सरकार के बीच कोई करार नहीं हुआ है।वर्ष 2006 में हरिद्वार में बाबा रामदेव द्वारा स्थापित छोटी सी कंपनी अब विशालकाय एफएमसीजी कंपनी बन गई है जिसके दो लाख कर्मचारी हैं। वित्त वर्ष 2017 में पतंजलि की सेल 10,561 करोड़ रुपये थी। महाराष्ट्र सरकार ने ई-सेवा केंद्रों के जरिए पतजंलि के उत्पादों को बेचने का कदम ऐसे समय पर उठाया है, जब रामदेव की कंपनी ने ई-कॉमर्स के क्षेत्र में व्यापक स्तर पर उतरने का ऐलान किया है और फ्लिपकार्ट, ऐमजॉन जैसी 8 कंपनियों के साथ करार किया है। महाराष्ट्र सरकार ने नैशनल ई-गवर्नेंस के तहत राज्यभर में 7000 ई-सेवा केंद्र बनाए हैं और ये पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत संचालित होते हैं। इन केंद्रों पर सरकारी सेवाओं के अलावा नागरिकों को रेल, बस और एयर टिकट बुक करने, बिल भुगतान करने और सभी प्रकार के रिचार्ज कराने की सुविधा दी गई है। दिलचस्प बात यह है कि ई-सेवा केंद्रों पर पतंजलि एकमात्र ऐसी कंपनी है जिसने उत्पादों और सेवाओं की सूची में जगह बनाई है। पतंजलि ने 19 जनवरी को सरकार द्वारा जारी रेजॉलूशन में भी जगह बनाई है। इसके मुताबिक पतंजलि के उत्पाद एक अलग कैटिगरी के रूप में दर्ज किए गए हैं जिसे नागरिक ई-सेवा केंद्रों के जरिए ले सकते हैं।प्रधान सचिव एसवीआर श्रीनिवास ने इस बारे में कहा, ‘यह मानना गलत है कि महाराष्ट्र सरकार अपने नेटवर्क के जरिए पतंजलि के उत्पादों को बढ़ावा दे रही है। आप जिस हिस्से की बात कर रहे हैं, वह पूरे नोटिफिकेशन का 0.1 प्रतिशत भी नहीं है।’ बता दें, ऐसा पहली बार नहीं है, जब राज्य सरकार ने पतंजलि को बढ़ावा देने का प्रयास किया है।
वर्ष 2015 में सरकार ने घोषणा की थी कि वह जंगलों के जरूरत से ज्यादा कच्चे माल को पतंजलि को देगी ताकि उससे बनी दवाओं को सरकारी दुकानों में बेचा जा सके। सरकार के इस प्रस्ताव की विपक्षी दलों ने कड़ी आलोचना की थी। उन्होंने कहा कि वन उत्पाद को एक कंपनी को बेचना पक्षपात है।