कासगंज, गणतंत्र दिवस पर उठीं हिंसा की लपटों में तीन दिन तक झुलसते रहे कासगंज में तनाव के बीच अमन की पहल रंग दिखाने लगी। यूपी सरकार ने घटना सांप्रदायिक के बजाय राजनीतिक साजिश बताया है। इस बीच कासगंज में पुलिस-पीएसी और आरएएफ तैनाती के बीच अघोषित कर्फ्यू जैसी स्थिति है। आइजी के नेतृत्व में बवाल और युवक की हत्या में वांछित आरोपी के यहां दबिश देकर पिस्टल बरामद किया गया। उधर, शनिवार देर रात से रविवार सुबह तक उपद्रवियों ने चार खोखों में आग लगा दी, साथ ही भरगैन में एक दूधिये को पीट डाला। इस बीच दोपहर को पीस कमेटी की बैठक में शहर में अमन-चैन बहाल करने पर जोर दिया गया और शाम को अधिकारियों ने बाजार खुलवाने का प्रयास किया। तिरंगा यात्रा के विरोध के बाद शहर में उपद्रव के तीसरे दिन रविवार सुबह सहावर गेट और सोरों गेट के अलावा नदरई गेट पर तैनात जवान लोगों को घर में वापस जाने को कहते रहे। तभी सुबह आठ बजे बांकनेर के पास उपद्रवियों ने एक खोखे में आग लगा दी। प्रशासन और पुलिस के अधिकारी मौके पर पहुंचे और आग पर काबू पाया। इसके बाद एक तरफ आइजी अलीगढ़ डॉ. संजीव गुप्ता के नेतृत्व में पुलिस और पीएसी के जवानों ने शहर के बिलराम गेट, तहसील रोड, बड्डू नगर, लवकुश नगर और शहर के कई हिस्सों में ताबड़तोड़ दबिश दीं और छतों की तलाशी ली। इस दौरान बिलराम गेट पर राशिद के रेस्टोरेंट से देसी बम और तहसील रोड पर युवक चंदन गुप्ता के हत्यारोपी वसीम जावेद के घर से पिस्टल बरामद की। आइजी ने बताया कि तिरंगा यात्रा के बाद हुए बवाल को लेकर चार मुकदमे दर्ज हुए हैं।पुलिस ने रविवार को 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया जबकि दो दर्जन लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। दूसरी तरफ प्रशासनिक अफसर अमन कमेटियों के जरिए शहर में शांति बहाल करने के प्रयास में जुट गए। दोनों संप्रदाय के नेताओं ने अपने-अपने क्षेत्र में जाकर शांति की अपील की। उनके प्रयास रंग भी लाए। शाम को बाजार खुले। खरीदारी को लोग बाजार में निकल पड़े। प्रशासन ने कल से स्कूल-कॉलेजों के खुलने की भी घोषणा कर दी है। सूत्रों के अनुसार रविवार को शासन को भेजी गई खुफिया रिपोर्ट में उपद्रव के पीछे विपक्षी दलों के नेताओं की ओर इशारा किया गया है। उन्हें हिंसा के आरोपियों का संरक्षणदाता बताया गया है। पी सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि कासगंज की घटना कुछ राजनीतिक दलों की माहौल बिगाडऩे की साजिश है। इसे सांप्रदायिक बताना गलत है। वहां सांप्रदायिक तनाव है। पिछले 24 घंटों में बड़ी हिंसा हुई है। हालात काबू में हैं,इसीलिए वहां कर्फ्यू लगाने की जरूरत नहीं है। इस बीच सूत्रों ने बताया कि प्रदेश शासन को भेजी खुफिया रिपोर्ट में उपद्रव के पीछे विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं की ओर इशारा किया गया है। ऐसे राजनीतिक दलों को हिंसा के आरोपियों का संरक्षणदाता बताया गया है।