मुंबई
सरकार द्वारा विपक्ष के नेताओं की जासूसी कराए जाने की शिकायत विपक्ष ने राज्यपाल सी.विद्यासागर राव से की है। विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखेपाटील ने राज्यपाल को पत्र लिखकर सरकार की शिकायत की है और आरोप लगाया है कि सरकार विपक्ष के नेताओं की जासूसी करा रही है।राज्यपाल से की गई शिकायत में विखे पाटील ने कहा है कि विधानसभा में नेता विपक्ष के सरकारी आवास में पुलिस के दो जासूस बिना इजाजत घुस आते हैं, यह बेहद गंभीर और लोकतंत्र को कलंकित करने वाला मामला है। उन्होंने राज्यपाल से इस पूरे मामले की जांच कराने और राज्य के गृह विभाग के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि इस घटना के बाद यह सवाल पैदा होता है कि क्या सरकार का संविधान और लोकतंत्र में कोई विश्वास बचा है, क्योंकि नेता विपक्ष एक संवैधानिक पद है।
गत गुरुवार को विखे पाटील ने अपने घर प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी। मंत्रालय में मुख्यमंत्री के दफ्तर के सामने जहरीला कीटनाशक खाकर आत्महत्या की कोशिश करने वाले बुजुर्ग किसान से वह अस्पताल में मिलकर आए थे, इसी संदर्भ में वह पत्रकारों को जानकारी देना चाहते थे। इसलिए उन्होंने मंत्रालय के सामने स्थित अपने सरकारी बंगले पर मीडिया को आमंत्रित किया था। उनका आरोप है कि मीडिया के लोग वहां जमा थे, उन्हीं के बीच सरकार के दो जासूस घुस आए। यह दोनों प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद पत्रकारों के फोटो ले रहे थे, लेकिन पत्रकारों के बीच इन दो अवांच्छित चेहरों को देखकर, जब इनसे पूछताछ की गई, तो पता चला कि यह दोनों पुलिस की विशेष शाखा के कर्मचारी हैं। इनमें एक सहायक पुलिस निरीक्षक और दूसरा हवलदार रैंक का है। दोनों सादे कपड़ों में आए थे, ताकि कोई इन्हें पहचान न पाए।
इस घटना के बाद नेता विपक्ष राधाकृष्ण विखेपाटील ने वहीं से तत्काल मुंबई पुलिस आयुक्त को फोन लगाया, तो पुलिस आयुक्त ने उन्हें बताया कि उन्होंने किसी को इस तरह की गतिविधि की अनुमति नहीं दी है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि विधानसभा में नेता विपक्ष जिन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है, आखिर किसके कहने पर उनकी जासूसी की जा रही थी? विपक्ष का शक सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय पर है, क्योंकि गृह मंत्रालय भी मुख्यमंत्री के ही अधीन है।