मुंबई
बीजेपी के असंतुष्ट सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने एक बार फिर पार्टी के खिलाफ आवाज बुलंद की है। सिन्हा ने कहा है कि बीजेपी में उनके साथ सौतेले बेटे जैसा व्यवहार हुआ। उन्होंने कहा कि बीजेपी में उन्हें दबाव महसूस हो रहा था। अब उन्हें मुक्ति का अहसास हो रहा है। बता दें कि सिन्हा कुछ दिन पहले ही पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा द्वारा शुरू किए गए नए राजनैतिक मंच (राष्ट्र मंच)से जुड़े हैं।सिन्हा ने कहा कि हम कुछ बेचैन दिमागों में राष्ट्र मंच की अवधारणा काम कर रही थी। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्र मंच का हिस्सा बनकर खुली हवा में सांस लेने जैसा अहसास हो रहा है। इसमें शामिल होने के बाद मैं देश की भलाई के लिए अपने विचार स्वतंत्र होकर व्यक्त कर सकता हूं। मैं बता नहीं सकता कि मैं कितना मुक्त महसूस कर रहा हूं। खुली हवा में सांस लेने का मजा ही कुछ और है।’ ‘हम अब भी बीजेपी में, कोई विद्रोह नहीं’
यह पूछने पर कि उनकी मूल पार्टी बीजेपी ने उन्हें कभी बोलने से रोका नहीं, सिन्हा ने कहा, ‘मेरी मूल पार्टी बीजेपी ने मुझे बोलने के अलावा और कोई काम नहीं करने दिया। मुझे यह महसूस होता था कि बीजेपी मेरे साथ सौतेले बेटे जैसा व्यवहार कर रही है। सच कहूं तो मैं दबा-दबा महसूस करता था। यशवंत सिन्हाजी जब मेरे पास यह गैर राजनीतिक मंच का विचार लेकर आए तो मैने तुरंत हां कर दी। हम बीजेपी से अलग नहीं हुए हैं। हमने अपनी मूल पार्टी से विद्रोह नहीं किया है। हमने कोई सीमा नहीं तोड़ी है।’
‘राष्ट्र मंच से कोई नहीं लड़ेगा चुनाव’
राष्ट्र मंच के उद्देश्य के बारे में पूछने पर शत्रुघ्न ने कहा, ‘राष्ट्र मंच से कोई चुनाव नहीं लड़ा जाएगा। इस अर्थ से यह कोई राजनीतिक पार्टी नहीं है। हमारा उद्देश्य साथ मिलकर सामाजिक व्यवस्था में सुधार लाना है। इसमें हम आर्थिक मुद्दों और गरीबों की जरूरतों के मुद्दे उठाएंगे। किसानों की आत्महत्या, बेरोजगारी, सीमा पर और आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे उठाएंगे।’
‘मोदी सुधार और बदलाव नहीं चाहते?’
सिन्हा ने कहा कि पद्मावत जैसे अनावश्यक मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देने से अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान हट जाता है। मुद्दों पर बोलने की अनुमति मिलने के प्रश्न पर सिन्हा ने कहा, ‘क्यों, अनुमति क्यों नहीं मिलेगी? क्या देश के सबसे बड़े और मजबूत ऐक्शन हीरो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुधार और बदलाव नहीं चाहते हैं? उनके हाथ मजबूत करने के लिए हमने इस मंच को शुरू किया है, जैसे जयप्रकाश नारायण और वी.पी. सिंह ने एक पार्टी बनाई थी जिससे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)भी संबद्ध था। हमारी पार्टी में एक जैसी मानसिकता के लोग हैं और हमारे लक्ष्य हमारे दिल में हैं।