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करप्शन में फंसीं मेयर, उपराज्यपाल ने दिए जांच के आदेश

नई दिल्ली
नई दिल्ली में नॉर्थ एमसीडी की मेयर प्रीति अग्रवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत के बाद उपराज्यपाल ने एमसीडी के चीफ विजिलेंस अफसर (सीवीओ) को जांच के आदेश दिए हैं। हालांकि, अभी तक जांच शुरु नहीं हो पाई है। सुप्रीम कोर्ट के वकील कैलाश चंद्र मुद्गिल ने मेयर पर भ्रष्टाचार के 12 मामलों में शामिल होने का आरोप लगाया है। सर्वोच्च न्यायालय के वकील मुद्गिल ने उपराज्यपाल से दिसंबर में शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि मेयर बिना पैसे कोई काम नहीं करती हैं। वह हर काम के लिए पैसे की मांग करती हैं। नॉर्थ एमसीडी एरिया में डिवेलपमेंट के लिए जितने भी टेंडर जारी किए हैं, उन्हें क्लियर करने के एवज में मेयर ने 10 प्रतिशत लिया था।
मुद्निल ने यह भी आरोप लगाया कि जिन एजेंसियों ने पैसे नहीं दिए, आजतक उनकी फाइल पेंडिंग हैं। उनका आरोप है कि रोहिणी की शिवा मार्केट में एक प्लॉट की नीलामी के लिए मेयर ने 10 प्रतिशत कमिशन लिया था। इसके अलावा 6 जोन में एलईडी लाइट्स लगाने के लिए 130 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट एमसीडी ने एक एजेंसी को दिया है। मेयर ने इस एजेंसी से भी फाइल को क्लियर करने के लिए पैसे की मांग की थी, लेकिन एजेंसी ने पैसे नहीं दिए। इस वजह से आज तक एलईडी लाइट्स लगाने की फाइल पेंडिंग पड़ी है।

मेयर पर सुप्रीम कोर्ट के वकील द्वारा यह भी आरोप लगाया गया है कि वह नॉर्थ एमसीडी के कर्मचारियों का मन मुताबिक वॉर्ड, जोन या इलाके में पोस्टिंग और ट्रांसफर भी उनकी ही मर्जी से होता है। इसके लिए भी वह पैसों की मांग करती हैं। सिविक सेंटर के सिक्यॉरिटी टेंडर के लिए उन्होंने पिछले साल डेप्युटी कमिश्नर (हेड क्वॉर्टर) के महेश से भी लड़ाई की थी। बिल्डिंग डिपार्टमेंट के अफसरों को उनके वॉर्ड में काम करने की अनुमति नहीं है, क्योंकि उनके वॉर्ड में जितने भी बिल्डर हैं, उन सभी से उनकी सांठगांठ हैं। नॉर्थ एमसीडी की मेयर प्रीति अग्रवाल का कहना है कि उनके खिलाफ जो भी आरोप लगाए गए हैं, वे बेबुनियाद हैं। ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए उनके खिलाफ पैसे मांगने का आरोप है, लेकिन ट्रांसफर-पोस्टिंग का काम उनका नहीं है। यह काम कमिश्नर और एमसीडी के अफसरों का है। मामले की जांच होने पर दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।

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