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चीन को सता रहा ग्वादर बंदरगाह के भूकंप में बह जाने का डर, करा रहा है सर्वे

पेइचिंग
चीन और पाकिस्तान के करीब 40 भूगर्भशास्त्री इन दिनों बलूचिस्तान के मकरान इलाके का सर्वे करने में व्यस्त हैं। चीन की ओर से इस इलाके में भूकंप आने की स्थिति में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण ग्वादर पोर्ट के बर्बाद होने की आशंका जताने के बाद यह सर्वे किया जा रहा है। बलूचिस्तान का मकरान वह इलाका है, जहां भूगर्भशास्त्रियों के मुताबिक दो टेक्टोनिक प्लेटें मिलती हैं। यह इलाका गहरे समुद्र में बने रहे पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के काफी पास है। इस पोर्ट को चीन ने 40 साल के लिए लीज पर लिया है। चीन की ओर से ग्वादर पोर्ट के भविष्य के लिए चिंता जताना बेहद महत्वपूर्ण है। इसकी वजह यह है कि यह पोर्ट चीन के महत्वाकांक्षी चाइना-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर का भी अहम हिस्सा है। 50 अरब डॉलर की लागत से बन रही यह परियोजना चीन के शिनजियांग प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ेगी। यह कॉरिडोर भारतीय राज्य जम्मू-कश्मीर के पाक के कब्जे वाले हिस्से से होकर निकलेगा।

हॉन्ग कॉन्ग के अखबार साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने लिखा, ‘समुद्री इलाके मकरान में पिछला बड़ा भूकंप 70 साल पहले आया था। हालांकि अब जब भी ऐसा भूकंप आएगा तो पहले से कहीं ज्यादा तबाही होने की आशंका है।’ रिपोर्ट में कहा गया कि कोई भी आपदा चीन की ओर से एशिया से लेकर अफ्रीका और यूरोप तक कारोबार करने के मंसूबों को खत्म कर देगी। चीन की योजना ग्वादर एयरपोर्ट के जरिए अफ्रीका और यूरोप के देशों तक कारोबार करने की है।

यही वजह है कि पाकिस्तान और चीन के तमाम वैज्ञानिक इस इलाके में सर्वे कर रहे हैं ताकि खतरे का आकलन करने के बाद उसके मुताबिक योजना पर आगे बढ़ा जा सके। यह इलाका भूकंप की आशंका वाले क्षेत्रों में से है। इसकी वजह यह है कि अरब सागर के पास इस इलाके में जमीन के भीतर दो प्लेटें मिलती हैं। इस इलाके में 1945 में 8.1 की तीव्रता वाला सबसे तगड़ा भूकंप आया था। इसके चलते सुनामी भी आई थी और इस आपदा में ओमान, पाकिस्तान, ईरान और भारत में 4,000 के करीब लोगों की मौत हो गई थी। पिछले साल भी इस क्षेत्र में रिक्टर स्केल में 6.3 की तीव्रता वाला भूकंप आया था।

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