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सेनाओं के लिए लाइट मशीनगनों की कमी दूर होगी, ₹15​,​935 करोड़ के खरीद प्रस्ताव को मंजूरी

नई दिल्ली
पाकिस्तान और चीन के मोर्चे पर तनाव के साथ घाटी में सुरक्षा बलों के कैंपों पर हमला बढ़ने के बीच सेना के छोटे हथियारों की खरीदारी पर बड़ा फैसला किया गया है। रक्षा खरीद परिषद ने कई हजार करोड़ रुपये के छोटे हथियारों की खरीद को मंजूरी दी है। सीमा पर तैनात सैनिकों को आधुनिक और असरदार हथियारों से लैस करने के लिए रक्षा खरीद परिषद ने पिछले 1 महीने में तीन मुख्य हथियारों – राइफल, कार्बाइन और लाइट मशीनगनों की खरीदारी में तेजी लाने का फैसला किया है। जनवरी में ही 72,400 राइफलों और 93,895 कार्बाइनों की खरीदारी को मंजूरी दी गई थी। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद की मंगलवार को बैठक हुई, जिसमें 15,935 करोड़ रुपए की खरीद के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इसके तहत तीनों सेनाओं के लिए जरूरत की मात्रा के मुताबिक हल्की मशीनगनों को फास्ट ट्रैक तरीके से खरीदने का प्रस्ताव भी शामिल है, जिसकी लागत 1819 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। मुमकिन है कि सरकार के शीर्ष स्तर पर खरीद के लिए समझौता हो। इससे सीमा पर तैनात सैनिकों की ऑपरेशनल जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी। बाकी लाइट मशीनगन खरीदने का प्रस्ताव अलग से विचाराधीन है। नई मशीनगनें मौजूदा के मुकाबले काफी हल्की भी हो सकती हैं। रक्षा खरीद परिषद ने तीनों सेनाओं के लिए 7.4 लाख असॉल्ट राइफल खरीदने को भी मंजूरी दी है। यह ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड और प्राइवेट इंडस्ट्रीज दोनों से मिलकर खरीदे जाएंगे। इसकी लागत 12,280 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। परिषद ने 5719 स्नाइपर राइफल की खरीद को भी मंजूरी दी है, जो सेना और वायु सेना के लिए होंगी। इनकी अनुमानित लागत 983 करोड़ रुपए होगी। भारतीय नौसेना कि पनडुब्बी रोधी क्षमता बढ़ सके, इसके लिए मारीच सिस्टम की खरीदारी को भी मंजूरी दी गई है।

रक्षा संगठन डीआरडीओ ने देश में ही इस सिस्टम का विकास किया है और इसका ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा हो चुका है। मारीच सिस्टम को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड बेंगलुरु 850 करोड़ रुपए की लागत से तैयार करेगा।

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