नई दिल्ली, मुख्य सचिव से मारपीट मामले में सोमवार को आइएएस एसोसिएशन ने अपना स्टैंड साफ कर दिया है। पूर्व निर्धारित बैठक में एसोसिएशन ने दो टूक कहा कि पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल माफी मांगे, इसके बाद ही कोई वार्ता होगी। आइएएस एसोसिएशन के इस रूख के बाद दिल्ली सरकार और अफसरों के बीच का यह गतिराेध और लंबा होता नजर आ रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में अरविंद केजरीवाल सरकार का क्या रूख होता है।
मुख्य सचिव के साथ हुई मारपीट के मामले को लेकर अधिकारियों ने एक प्रेस कांफ्रेंस की। प्रेस कांफ्रेंस में अधिकारियों ने मुख्य सचिव के साथ सीएम आवास में हुई धक्का-मुक्की और मारपीट को लेकर सीएम केजरीवाल व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया से माफी मांगने की बात कही गई।
माफी की मांग
अधिकारियों के ज्वाइंट फोरम की प्रवक्ता पूजा जोशी ने कहा कि हमनें फैसला किया है कि इस मामले में सीएम और डिप्टी सीएम जब तक माफी नहीं मांगते तब तक हम कोई बातचीत नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया गलती मानने और माफी मांगने की जगह पर इस घटना को ही नकारने में लगे हैं। जो गलत है, इससे यह साफ तौर पर पता चलता है कि वह भी इस साजिश का हिस्सा रहे हैं। अफसरों ने सख्त रूख अपनाया
मुख्य सचिव से मारपीट के बाद दिल्ली सचिवालय में तैनात अफसरों ने सख्त रूख अपनाया है। वह दिल्ली सरकार के किसी भी मंत्री की बैठक में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। उनके इस रूख से दिल्ली का कामकाज पूरी तरह से ठप हो गया है। मुख्य सचिव से मारपीट के बाद यहां के अफसर सहमे हुए हैं। उनको यह भय सता रहा है कि कहीं ‘आप’ नेता उनके साथ भी यही व्यवहार न करें। राजनिवास में केजेरीवाल ने जाहिर की थी चिंता
बता दें कि शुक्रवार को दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुलाकात में सरकारी कामकाज में आ रहे गतिरोध को लेकर चिंता जाहिर की गई थी। एलजी से मुलाकात के बाद यह कहा गया कि दिल्ली सरकार अधिकारियों से बात करेगी। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि अधिकारी सामान्य तौर पर काम करना शुरू करें यही दिल्ली के लोगों के हित में होगा। इसके बाद दिल्ली सरकार के मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम ने अधिकारियों से बात करके मामला सुलझाने के लिए बातचीत का न्योता दिया था।
राजेन्द्र गौतम को अफसरों से बात करने ज़िम्मा सौंपा
केजरीवाल ने अपने मंत्री और सीमापुरी से विधायक राजेन्द्र पाल गौतम को अफसरों से बात करके मामला सुलझाने का ज़िम्मा सौंपा था। राजेन्द्र का कहना था कि कथित मारपीट के आरोपी विधायक जेल में हैं और इस प्रकरण की पुलिस जांच कर रही है। इस मामले में कानून अपना काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले से दिल्ली की जनता का क्या दोष है, उसका काम क्यों प्रभावित हो। ऐसा माना जा रहा था कि सरकार ने अपनी तरफ से पहल की है अगर सरकार और अफसरों का आपसी विश्वास मजबूत होता है तब खुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया अधिकारियों के साथ बैठक कर सकते हैं। लेकिन अफसर अपने स्टैंड पर कायम हैं।
भाजपा ने की CBI जांच की मांग
भाजपा ने मुख्यमंत्री आवास में मुख्य सचिव अंशु प्रकाश से हुई मारपीट की सीबीआइ जांच कराने की मांग की है। उसका कहना है कि दिल्ली सरकार अराजक व्यवहार करके भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को तहस-नहस करना चाहती है। मुख्य सचिव के साथ मारपीट इसका ज्वलंत उदाहरण है। भाजपा का कहना है कि अब यह संदेश साफ है कि जो अधिकारी सरकार के गैर कानूनी कार्यों को करने से इन्कार करेंगे, उनके साथ यह सरकार मारपीट करेगी। यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि मौके से साक्ष्य मिटाने की कोशिश हुई है। इसलिए सच्चाई सामने लाने के लिए सीबीआइ जांच जरूरी है।