मुंबई: राज्य विधान मंडल के बजट सत्र के पहले ही दिन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को विपक्ष और राज्य की जनता से माफी मांगनी पड़ी। मामला राज्यपाल सी विद्यासागर राव के अभिभाषण का मराठी अनुवाद उपलब्ध न होना था। 15 मिनट बाद सरकार को समझ में आया कि मराठी अनुवादक मौके पर उपलब्ध नहीं है। विधान मंडल के इतिहास में यह अपनी तरह की पहली घटना घटी, जिसे लेकर मुख्यमंत्री ने विधानसभा में माफी मांगी और विधान परिषद में सभागृह नेता चंद्रकांत पाटील ने खेद व्यक्त किया।
विधान मंडल की परंपरा के अनुसार यदि राज्यपाल मराठी के अलावा किसी अन्य भाषा में अपना भाषण देते हैं, तो सदस्यों को उनकी टेबल पर लगे इयर फोन में भाषण का मराठी अनुवाद सुनने को मिलता है। परंतु सोमवार को जब सदस्यों को मराठी अनुवाद सुनने को नहीं मिला तो विपक्ष के सदस्य शोर मचाने लगे। शिवसेना और सत्ता पक्ष के भी कुछ विधायकों ने इस पर अपनी नाराजी व्यक्त करनी चाही।
तावडे भागे अनुवादक कक्ष में
स्थिति बिगड़ते देश अस्थायी रूप से संसदीय कार्य मंत्री का प्रभार देख रहे शिक्षा मंत्री विनोद तावडे लगभग भागते हुए अनुवाद कक्ष में पहुंचे और राज्यपाल के अभिभाषण का मराठी अनुवाद पढ़ना शुरू किया, लेकिन तब तक विपक्ष ने राज्यपाल के अभिभाषण का बहिष्कार कर दिया और विधान भवन परिसर में छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के पास जमा होकर नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्ष ने सरकार पर मराठी भाषा और 12 करोड़ मराठी जनता के अपमान का आरोप लगाया।
मुख्यमंत्री ने ही की कार्रवाई की मांग
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा कि वैसे तो यह विषय विधान परिषद के सभापति और विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार क्षेत्र का है, फिर भी मैं स्पष्ट रूप से सदन से माफी मांगता हूं, क्योंकि यह बहुत ही गंभीर और निषेध व्यक्त करने वाली घटना है। इसलिए मेरा निवेदन है कि इस मामले में जो भी दोषी हैं उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और शाम तक उनका फैसला कर दिया जाए।