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शरद पवार करेंगे केंद्र और राज्य सरकार से मांग, किसानों को भी मिले आरक्षण

मुंबई
आरक्षण को लेकर एनसीपी अध्यक्ष और सांसद शरद पवार ने एक नई बहस छेड़ दी है। उनका कहना है कि सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक आधार पर पिछड़े किसानों को भी एससी, एसटी और ओबीसी की तर्ज पर आरक्षण दिया जाए। किसानों को आरक्षण देने के लिए पवार केंद्र और राज्य सरकार से मांग भी करेंगे। शरद पवार ने मंगलवार को विशेष संवाददाता सम्मेलन बुलाकर याद दिलाया कि 1992 में देश में जब मंडल आयोग को लेकर अफरातफरी मची थी, उस दौर में आयोग की सिफारिशों को लागू करने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य था। पवार ने कहा, ‘एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग को मिले आरक्षण को प्रभावित किए बिना दूसरे अन्य वर्गों को आर्थिक आधार पर आरक्षण देना चाहिए। राज्य में जब आघाडी सरकार थी तब मराठा और मुस्लिम वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया गया था, लेकिन न्यायालय में वह नहीं टिका। राजस्थान में जाट समुदाय को आरक्षण दिया गया है। दूसरे राज्यों में कृषि से संबंध रखने वालों को आरक्षण दिया गया है। महाराष्ट्र में 82 फीसदी किसानों के पास 2 हेक्टेयर से कम जमीनें हैं। इससे किसान सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक पैमाने पर पीछे चला गया है। उसे आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए।’

उद्धव को दिया जवाब
पवार ने कहा, ‘पुणे में मेरे इंटरव्यू के बाद शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने बयान दिया कि आर्थिक आधार पर आरक्षण देने की जो मांग आज पवार कर रहे हैं, वह तो शिवसेना अध्यक्ष बालासाहेब ठाकरे ने 50 साल पहले ही कहा था। राज्य में 1995 में शिवसेना की सत्ता थी, तब क्यों नहीं आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू किया? आज भी राज्य में शिवसेना की सत्ता है, तो क्यों नहीं आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करते।’

‘चिदंबरम लड़ेंगे पुराने नोट बदलने का मुकदमा’
पवार के अनुसार जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों के पास मौजूद 500 और 1000 के बंद नोट वापस लेने के लिए शरद पवार केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात करेंगे। जेटली ने समस्या का निदान नहीं किया, तो जिला सहकारी बैंक सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। उनका मुकदमा लड़ने के लिए पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता पी. चिदंबरम ने हामी भरी है।

पवार ने कहा, ‘राष्ट्रीयकृत और सूचीबद्ध बैंकों ने तो पुराने नोट बदल दिए, लेकिन जिला सहकारी बैंकों में जमा नोट अब तक नहीं बदले गए। अब केंद्र सरकार ने जिला सहकारी बैंकों को नोटिस दिया है कि बंद नोट नष्ट करके उस रकम को नुकसान के रूप में दिखाएं। इन बैंकों के पास 112 करोड़ रुपये के बंद नोट पड़े हैं। केरल, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के जिला बैंकों में भी ऐसे नोट हैं। रिजर्व बैंक ने जिला सहकारी बैंकों के खाताधारकों की चार बार केवाईसी जांच की, तो अब ऐसा करने की क्या तुक है?’

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