मुंबई
महाराष्ट्र की राजनीति के ‘लिवइन रिलेशन’ में चल रहीं शिवसेना और बीजेपी के खराब रिश्तों की खबरें पिछले कई दिनों से मिल रहीं हैं। राजनीतिक बरसाने से हमारे होलियाने तक अभी-अभी यह खबर पहुंची है कि दोनों ही पार्टियां अपने लिवइन रिलेशन से ऊब चुके हैं और पार्टनर बदलने के मूड में हैं। आपको बता दें कि शिवसेना को कांग्रेस के साथ कई बार देखा जा चुका है। वहीं, सूत्रों का कहना है कि बीजेपी अपने पर्स में एनसीपी(राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी) के मोहल्ले का पता लेकर घूम रही है। इतना ही नहीं, बीजेपी नेता इन दिनों गूगल मैप पर मुंबई से बारामती की दूरी सर्च करते देखे जा रहे हैं।
लिवइन में टकराव
शिवसेना-बीजेपी के पड़ोसियों का कहना है कि दोनों के लिवइन में टकराव की वजह बहुत आम है। शिवसेना को लग रहा है कि बीजेपी अब पहले की तरह उसे प्यार नहीं करती और बीजेपी का आरोप है कि वह शिवसेना की कटकट से तंग आ चुकी है। हालांकि एक भरोसेमंद सूत्र का दावा है कि शिवसेना को बीजेपी और एनसीपी के ‘एक्स्ट्रा पॉलिटिकल अफेयर’ का पता चलने के बाद से ही दोनों में अविश्वास बढ़ा है।
कांग्रेस को पटाकर बीजेपी को जलाने की मंशा
शिवसेना भले ही कांग्रेस को पटाने और बीजेपी को जलाने के लिए कांग्रेस की तारीफ करने लगी है, लेकिन एकरंगी शिवसेना और तिरंगी कांग्रेस के बीच बात अब तक सिर्फ नैनमटक्का तक ही सीमित है। दरअसल कांग्रेस के पास एक ही सफेद कुर्ता है, जो सभी को फिट आता है और शिवसेना का अपना भगवा कुर्ता है, जो सिर्फ उस पर ही फबता है। कुर्ते की चॉइस भी दोनों के बीच बड़ी अड़चन बनी हुई है।
बीजेपी की हिचक
शिवसेना से कंटाल चुकी बीजेपी को एनसीपी के साथ पिछले चार साल से चले आ रहे अपने एक्स्ट्रा पॉलिटीकल अफेयर को लिवइन में बदलने के लिए बड़ी ‘डेरिंग’ करनी होगी, क्योंकि यहां मामला कुर्ते का नहीं, पायजामे का है। 2014 के चुनाव में बीजेपी ने एनसीपी के पायजामे का नाड़ा खींचकर अपने पायजामे में डाल लिया था। तब से एनसीपी आपना नाड़ा वापस पाने का मौका तलाश रही है। वैसे दूसरे के पायजामे का नाड़ा खींचने में एनसीपी खुद को एक्सपर्ट मानती है। बस इसी वजह से बीजेपी हिचक रही हैं।
नया नहीं है ईपीए
वैसे राजनीति में ईपीए यानी ‘एक्स्ट्रा पॉलिटिकल अफेयर’ कोई नई बात नहीं है और न ही इसे बुरा माना जाता है। अभी हाल ही में बिहार के सुशासन बाबू ने अपना पार्टनर बदला है और बिना किसी तकलीफ के नई लिवइन रिलेशनशिप को खूब इंजॉय कर रहे हैं। कश्मीरी महबूबा की कहानी भी इसी तरह की है। हालांकि वहां आए दिन बर्तन खड़कते रहते है, फिर भी लिवइन बरकरार है।