मुंबई
मुंबई विश्वविद्यालय ने शोध को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। शुक्रवार को विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डॉक्टर देवानंद शिंदे ने ऐक्सिलेटर मास स्पेक्ट्रोमीटर (एएमएस) का उद्घाटन किया। यह मशीन पुरातत्व विज्ञान और प्राचीन इतिहास के विद्यार्थियों के लिए बहुत मददगार साबित होगी। इस मशीन के जरिए 50 हजार साल तक के इतिहास की अचूक जानकारी प्राप्त हो सकती है। 10 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह मशीन नीदरलैंड से लाई गई है। मुंबई विश्वविद्यालय यह मशीन लगाने वाला देश की पहला विश्वविद्यालय है। विश्वविद्यालय के मुताबिक, इस मशीन को प्राध्यापक डॉक्टर डी.सी. कोठारी और टीआईएफआर के प्राध्यापक एम.एन. वाहिया की मदद से क्रियान्वित किया जा रहा है। मशीन का लाभ न सिर्फ मुंबई विश्वविद्यालय को होगा, बल्कि सभी भारतीय विशेषज्ञों को होगा।
अब तक कार्बन डेटिंग की जांच के लिए नमूने विदेश में भेजे जाते थे। इस पर तकरीबन 600 डॉलर खर्च होते थे, लेकिन इस मशीन के लग जाने से देश के पैसे और समय दोनों बचेंगे। विश्वविद्यालय के मुताबिक, दुनियाभर में सिर्फ 45 मशीन कार्यरत हैं।