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‘एयर इंडिया’ के कारण इसराइल सरकार पर मुक़दमा

भारत की सरकारी विमान कंपनी एयर इंडिया की एक ‘ऐतिहासिक फ़्लाइट’ को लेकर इसराइल के सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति दर्ज कराई गई है.

अगर इस पर कोर्ट कोई आदेश जारी करता है तो एयर इंडिया ही नहीं केंद्र की मोदी सरकार को भी बड़ा झटका लगेगा. मोदी सरकार ने एक हफ़्ते पहले ही शुरू हुई इस फ़्लाइट को ऐतिहासिक करार दिया था.

सरकार की तरफ़ से ये दावा किया जा रहा था कि सऊदी अरब और इसराइल के साथ भारत सरकार की ये बड़ी कूटनीतिक सफलता है.

इस मामले में याचिकाकर्ता है इसराइली विमान कंपनी एल-अल जिसका दावा है कि विमानन क्षेत्र में निष्पक्षता और सभी को समान अधिकार नहीं मिल रहे.

इसराइली कंपनी ने ये अपील सऊदी अरब के उस फ़ैसले के बाद की है जिसमें इसराइल जाने वाली किसी कमर्शियल फ़्लाइट को पहली बार सऊदी अरब का एयर स्पेस इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई है.

किस फ़्लाइट से है आपत्ति?
बीते गुरुवार, 22 मार्च की शाम एयर इंडिया ने दिल्ली से तेल अवीव के बीच एक फ़्लाइट शुरू की है.

ढाई सौ से ज़्यादा यात्री ले जाने वाली ये फ़्लाइट बाकियों की तुलना में दो घंटे से कुछ कम वक़्त में दिल्ली से तेल अवीव का सफ़र पूरा करती है.

ये फ़्लाइट ओमान, सऊदी अरब और जॉर्डन के ऊपर से होते हुए इसराइल पहुंचती है.

जानकारों की राय है कि भारत ने कूटनीतिक संबंधों के दम पर सऊदी अरब से उनका एयर स्पेस इस्तेमाल करने की अनुमति ली है.

इसराइल के विदेश मंत्री ने भी कहा था कि ये फ़्लाइट रूट दोनों देशों के लिए अहम है.

सऊदी अरब का बड़ा फ़ैसला
एयर इंडिया की इस फ़्लाइट के लिए सऊदी अरब ने 70 साल बाद अपना एयर स्पेस बैन हटाया है.
इसराइल को सऊदी अरब मान्यता नहीं देता है और न ही वो उसे अपना एयर स्पेस इस्तेमाल करने की अनुमति देता है. इस तरह इसराइल के लिए जाने वाली कोई भी फ़्लाइट सऊदी अरब के ऊपर से नहीं गुजरती है.

इस वजह से इसराइल की एल-अल एयरलाइन को ईंधन के लिए ज़्यादा ख़र्च उठाना पड़ता है और वक़्त भी अधिक लगता है.

एल-अल एयरलाइन की दलील
एयरलाइन कंपनी ने एयर इंडिया की फ़्लाइट को मंज़ूरी देने के लिए इसराइल सरकार को भी इस मामले में पार्टी बनाया है.
कंपनी का कहना है कि इस पक्षपातपूर्ण रवैये के कारण उन्हें भारी नुकसान हो सकता है. हालांकि कंपनी ने कोर्ट में दी अपनी याचिका में एयर इंडिया की फ़्लाइट पर रोक लगाने की मांग नहीं की है.

लेकिन ये ज़रूर कहा है कि किसी नई फ़्लाइट को ये रूट इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं मिलनी चाहिए.

एल-अल एयरलाइन के अधिकारियों का कहना है कि अगर कोर्ट इस मामले में कोई आदेश जारी करता है तो इसका असर एयर इंडिया पर भी होगा.

इस मामले में अब इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन से भी टिप्पणी देने को कहा गया है.

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