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कैसे कम हो सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम,पेट्रोलियम मंत्री ने बताया,

नई दिल्ली। अगर आप पेट्रोल व डीजल की बेतहाशा बढ़ रही कीमतों से राहत पाना चाहते हैं, तो यह दुआ कीजिए कि इन दोनों को जीएसटी में शामिल करने पर जल्द से जल्द से सहमति बन जाए। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी इसी उम्मीद से है कि जीएसटी में इन उत्पादों के शामिल होने से देश भर में इन पर एक ही तरह का टैक्स लगने का रास्ता साफ होगा और इससे मौजूदा खुदरा कीमतों में कमी होगी। प्रधान इस तरह का कोई आश्वासन नहीं देना चाहते कि सरकार की तरफ से टैक्स घटा कर जनता को कुछ राहत दी जाए। राज्य सरकारों से भी टैक्स घटाने का आग्रह करने को लेकर भी केंद्र का अपना तर्क है। उनका कहना है कि अलग अलग राज्य अपनी अपनी वित्तीय स्थिति को देखते हुए टैक्स लगाते हैं।

राष्ट्रीय राजधानी में बीएस-6 मानकों के पेट्रोल-डीजल की बिक्री शुरू करने के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के बाद प्रधान ने संवाददाताओं से बात की। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों पर सरकार नजर बनाये हुए है। जब भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड महंगा होता है तो ग्राहकों पर भी कुछ असर पड़ता है। सरकार पूरे हालात पर नजर रखे हुए। उन्होंने इस संभावना से साफ इनकार किया कि मौजूदा कीमत तय करने की नीति में कोई बदलाव किया जाएगा। सनद रहे कि पूर्व यूपीए सरकार के कार्यकाल में पेट्रोल की खुदरा कीमत खुद तय नहीं करने का फैसला किया था, जबकि एनडीए सरकार ने डीजल के मामले में यह फैसला किया था। प्रधान के मुताबिक, ‘हमें अगर सभी को तेल उपलब्ध कराना है तो बाजार आधारित खुदरा कीमत तय करने का फार्मूला ही लागू करना होगा।’प्रधान ने कहा कि समान व सेवा शुल्क (जीएसटी) तय करने के लिए गठित जीएसटी परिषद को पेट्रोल व डीजल के बारे में शीघ्रता से फैसला करना चाहिए। यह देश की ऊर्जा सुरक्षा के साथ ही आम जनता के हित के लिए भी जरुरी है। पहले प्रधान ने राज्यों से आग्रह किया कि उन्हें शुल्क में कटौती कर जनता को राहत देनी चाहिए लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि अधिकांश राज्य तो भाजपा शासित ही हैं ऐसे में केंद्र सरकार उनसे क्यों नहीं इस बारे में कदम उठाने को कहती तो उनका जवाब था, ‘राज्यों की अपनी वित्तीय हालात है जिसके हिसाब से वे कदम उठाते हैं।’

सनद रहे कि यूपीए सरकार ने वर्ष 2014 से वर्ष 2016 में जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड सस्ता हो रहा था, तब इस पर नौ बार उत्पाद शुल्क की दर को बढ़ा कर यह सुनिश्चित किया कि सस्ते क्रूड का सारा फायदा आम जनता को नहीं मिले। हालांकि पिछले वर्ष शुल्क में एक बार (अक्टूबर 2017 में दो रुपये प्रति लीटर की) की कटौती की गई। नौ बार में पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 11.77 रुपये और डीजल में 13.47 रुपये प्रति लीटर की कमी की गई। इससे पेट्रोलियम उत्पादों से सरकार को वर्ष 2014-15 में हुई 99,000 करोड़ रुपये राजस्व संग्रह की राशि वर्ष 2016-17 में बढ़ कर 2.42 हजार करोड़ रुपये हो गई।

नौ बार उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी का असर यह हुआ कि अभी जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल है तब भी दिल्ली में पेट्रोल की खुदरा कीमत 73.83 रुपये प्रति लीटर है। अभी यहां डीजल की खुदरा कीमत 64.69 रुपये प्रति लीटर है। यह कीमत तब भी इतनी नहीं थी जब अंतरराष्ट्रीय बाजार मे क्रूड की कीमत 130 डॉलर प्रति बैरल थी। पेट्रोल की सबसे अधिक कीमत 76.06 रुपये प्रति लीटर सितंबर, 2014 में था।

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