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पुनर्विकास की परियोजनाओं को समय पर पूरा न करने वाले डिवेलपरों पर जल्द ही म्हाडा की गाज

मुंबई
पुनर्विकास की परियोजनाओं को समय पर पूरा न करने वाले डिवेलपरों पर जल्द ही म्हाडा की गाज गिर सकती है। इन बिल्डरों को परियोजना से हटाने की बात गृहनिर्माण मंत्री प्रकाश मेहता ने कही है। इसके लिए म्हाडा नियम में बदलाव पर काम कर रही है। बता दें कि म्हाडा की सैंकड़ों ऐसी पुनर्विकास परियोजनाएं हैं, जिनका काम पूरा नहीं हो पाया है। कहीं तो निवासी घर खाली नहीं कर रहे हैं, और कहीं बिल्डर की आर्थिक स्थिति परियोजना के आड़े आ रही है। मौजूदा नियमों के अनुसार ऐसी स्थिति में म्हाडा सिर्फ परियोजना की एनओसी ही रद्द कर सकती है, लेकिन अब नियम में ऐसे बदलाव की तैयारी की जा रही है कि म्हाडा खुद ही बिल्डर को हटा सके। इसके लिए झोपड़पट्टी पुनर्वसन प्राधिकरण (एसआरए) की तरह नियम बनाए जाएंगे।

एसआरए ऐक्ट 13(2) के अनुसार यदि एसआरए परियोजना का काम 10 साल से अधिक समय से शुरू नहीं किया गया, तो बिल्डर को हटाया जा सकता है। इस नियम का उपयोग कर अबतक 54 बिल्डरों को परियोजना से हटाया जा चुका है। इसी तरह म्हाडा में भी नया नियम लागू कर परियोजनाओं को गति देने की बात गृहनिर्माण मंत्री प्रकाश मेहता ने कही है। प्रकाश मेहता ने कहा क‍ि, हम नियम पर काम कर रहे हैं। जल्द ही इसका प्रस्ताव म्हाडा गृहनिर्माण विभाग को भेजेगी। इसके लागू होते ही म्हाडा की सैकड़ों पुनर्विकास की परियोजनाओं को रफ्तार मिलेगी।

35 की एनओसी रद्द, 150 डिवेलपरों को नोटिस
उल्लेखनीय है कि हाल ही में म्हाडा ने 35 पुनर्विकास की परियोजनाओं की एनओसी रद्द कर दी थी, साथ ही 150 से अधिक डिवेलपरों को कारण बताओ नोटिस भेजा था। दक्षिण मुंबई में म्हाडा की 9000 से अधिक पुरानी इमारतें हैं, जिनका पुनर्विकास किया जाना अतिआवश्यक है। लेकिन किसी न किसी कारण से इनके पुनर्विकास का काम शुरू तक नहीं हो पाया है। परियोजनाओं को गति देने के लिए म्हाडा यदि सख्ती भरा कदम उठाती है, तो इसका फायदा आम लोगों जरूर मिलेगा।

बिल्डर देंगे बिल्डर का खर्च
मेहता ने बताया कि परियोजना भले 10 साल से अधिक समय होने पर पूरी न हुई हो लेकिन इतने समय में डिवेलपर का अच्छा खासा पैसा खर्च हो जाता है। ऐसे में जब डिवेलपर को परियोजना से हटाया जाता है, तो वह कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं, इससे परियोजना अनिश्चित काल के लिए अधर में लटक जाती है। मेहता ने बताया कि इस समस्या को निबटाने के लिए एक पैनल का गठन किया जाएगा। इस पैनल का काम होगा कि डिवेलपर ने परियोजना में कितना पैसा खर्च किया है, उसका आकलन किया जाए। इसके बाद परियोजना के लिए नियुक्त किया जाने वाला नया डिवेलपर यह खर्च पुराने डिवेलपर को देगा।

64 हजार परिवारों के आशियाने की चाहत फास्ट ट्रैक पर
दक्षिण मुंबई में म्हाडा की 9000 उपकर प्राप्त इमारतें ऐसी हैं, जिनका पुनर्विकास सालों से अटका पड़ा है। यदि म्हाडा पुनर्विकास परियोजनाओं को जल्द से जल्द पूरा करने का कदम उठाती है तो इन इमारतों में रहने वाले 64 हजार परिवारों को नया आशियाना जल्द मिलने की उम्मीद बढ़ जाएगी।

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