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जातीय समीकरण साधने के साथ ही मुख्यमंत्रियों पर नियंत्रण करने की कोशिश में हाईकमान

नई दिल्ली
राजस्थान और मध्य प्रदेश में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और बीजेपी ने दोनों राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष बदलकर नया दांव चला है। असल में इन चुनावी राज्यों में संगठन के आंतरिक संघर्ष और कार्यकर्ताओं में जोश की कमी को दूर करने के लिए बीजेपी हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्षों को बदलने का फैसला किया है। इसके अलावा दोनों राज्यों में मौजूदा सरकार से असंतोष को भी इसके जरिए साधने की कोशिश की गई है। मध्य प्रदेश में जबलपुर के सांसद और लोकसभा में पार्टी के चीफ व्हिप राकेश सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर हाईकमान ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को भी एक तरह से नियंत्रित करने का फैसला लिया है। मध्य प्रदेश के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार चौहान को शिवराज का करीबी माना जाता था। इसके अलावा बीजेपी राजस्थान और आंध्र प्रदेश में भी जल्दी ही नए अध्यक्ष नियुक्त करने वाली है। यही नहीं कई और राज्यों में भी ऐसे ही फैसले हो सकते हैं। आंध्र प्रदेश के स्टेट चीफ के. हरिबाबू ने भी मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था, जबकि बुधवार को नंद कुमार चौहान और राजस्थान के अशोक परनामी वसुंधरा कैंप को झटका, शिवराज पर भी नियंत्रण
खासतौर पर राजस्थान में बीजेपी वसुंधरा राजे पर नियंत्रण करने की कोशिश में है और केंद्रीय नेतृत्व के भरोसे ही चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी है। इसी को ध्यान में रखते हुए अशोक परनामी का इस्तीफा लिया गया है। हालांकि वसुंधरा राजे कैंप के लिए परनामी को पद से हटाया जाना एक बड़ा झटका माना जा रहा है। परनामी, चौहान और हरिबाबू को बीजेपी अब अपनी राष्ट्रीय कार्यसमिति में जगह देने वाली है। मध्य प्रदेश और राजस्थान के प्रदेश अध्यक्षों को मुख्यमंत्री का सरपरस्त माना जाता रहा है, जो आमतौर पर स्वतंत्र स्टैंड नहीं लेते थे। ऐसे में हाईकमान ने संगठन को सीएम की छत्रछाया से बाहर निकालते हुए नए अध्यक्षों की नियुक्ति का फैसला लिया है, जो स्वंतत्र रूप से फैसले ले सकें।

मध्य प्रदेश में बीजेपी ने खेला ओबीसी कार्ड
मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में इस साल के आखिर तक चुनाव होने हैं। मध्य प्रदेश की चुनावी राजनीति में जातिगत समीकरण खासे हावी रहते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ने ठाकुर नेता नंद कुमार चौहान को हटाकर ओबीसी लोध नेता राकेश सिंह को जिम्मेदारी सौंपी है। सीएम शिवराज सिंह चौहान खुद पिछड़ी जाति के हैं और इस फैसले से पार्टी ने ओबीसी बिरादरियों को लुभाने के संकेत दिए हैं।

नरेंद्र तोमर को कैंपेन कमिटी का चीफ बना साधेगी संतुलन
मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष रहे नरेंद्र सिंह तोमर राजपूत समुदाय से आते हैं। बीजेपी हाईकमान विधानसभा चुनाव में उन्हें कैंपेन कमिटी का चीफ बना सकता है। इसके जरिए पार्टी जातीय संतुलन साधने का काम करेगी।

राजस्थान में ओम बिड़ला और मेघवाल हैं रेस में
राजस्थान में बीजेपी सांसद ओम बिड़ला और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में आगे बताए जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक मीणा समुदाय के किसी नेता को भी इस बार मौका दिया जा सकता है। इसी तरह आंध्र प्रदेश में कापू समुदाय के नेता को मौका दिया जा सकता है या फिर एनटी रामाराव की बेटी डी. पुरंदेश्वरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इसके जरिए बीजेपी तेदेपा के मुखिया चंद्रबाबू नायडू से मुकाबला करेगी, जो पुरंदेश्वरी के पति हैं।

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