मुंबई, इस आईपीएल टूर्नमेंट के दौरान सट्टेबाजी 90 प्रतिशत तक डिजिटल हो गई है। हजारों सटोरियों ने अपने-अपने ऐप्स बनाए हैं। इन्हीं ऐप्स के जरिए वे पंटरों के साथ सट्टा खेल रहे हैं। एक विश्वस्त सूत्र ने एनबीटी को बताया कि जिस तरह बैंकों के ऐप्स होते हैं, बिल्कुल वैसे ही सटोरियों के भी ऐप्स हैं। बैंक के ऐप से बिना पासवर्ड ऑनलाइन कोई ट्रांजैक्शन हो नहीं सकता। सटोरियों के ऐप्स भी पासवर्ड से इन दिनों लाखों-करोड़ों का वारा-न्यारा कर रहे हैं। खास बात यह है कि पासवर्ड सटोरिए नहीं दे रहे, बल्कि पंटर सटोरियों को बता रहे हैं- ‘यह पासवर्ड अपने सिस्टम में फीड कर लो।’ यदि पंटर को कभी लगता है कि सटोरी उसके साथ धोखा कर रहा है, तो वह फौरन पासवर्ड बदल देता है।
ऑनलाइन नहीं होता ट्रांजैक्शन
पंटर ऐप के जरिए बॉल दर बॉल जैसा सट्टे का भाव लगाता है, सटोरी को वह दिखता रहता है। मैच के खत्म होने के पांच मिनट बाद बुकी और पंटर दोनों को पता चल जाता है कि कौन कितना जीता, कितना हारा? यदि पंटर जीता, तो बुकी उसे दो प्रतिशत कमिशन काटकर रकम देता है। यदि पंटर हारा, तो उसे बुकी को पूरी रकम देनी पड़ती है। पेमेंट के मामले में कुछ भी ऑनलाइन ट्रांजैक्शन नहीं होता। जो भी जीता या हारा, सारा लेन-देन कैश में होता है।
पिछली बार से ली सीख, ऐसे बचते हैं
करीब चार साल पहले जब आईपीएल टूर्नमेंट में स्पॉट फिक्सिंग केस ओपन हुआ था, तब कुछ गिरफ्तार आरोपियों के पास डायरियां भी मिली थीं। बाद में कई बुकी या पंटर लैपटॉप्स में हिसाब रखने लगे और टूर्नमेंट्स के खत्म होने के बाद अपने-अपने लैपटॉप का मदरबोर्ड बदलने लगे, ताकि उनका पिछला डेटा कभी ट्रेस न किया जा सके। अब सब कुछ मोबाइल पर हो रहा है। मैच भी मोबाइल लाइव पर देखा जा रहा है और सट्टेबाजी भी मोबाइल ऐप्स पर हो रही है। हां, कुछ अभी भी मोबाइल कॉलिंग कर रहे हैं, वह भी कोड वर्ड में। पांच गुना महंगे मकानों में रहते हैं
बुकी कानून की गिरफ्त से बचने के लिए काफी एहतियात बरत रहे हैं। ज्यादातर इन दिनों मुंबई में कम रह रहे हैं। उन्होंने मुंबई से सटे उपनगरों मसलन ठाणे, नवी मुंबई, कल्याण, वसई-विरार, पालघर में अपने परिचितों के घर आईपीएल टूर्नमेंट खत्म होने तक किराए पर ले लिए हैं। किराया वे बाजार रेट से पांच गुना ज्यादा दे रहे हैं।
देशभर में फैले तार
एक सूत्र का कहना है कि मुंबई के बाद सबसे ज्यादा सट्टेबाजी गुजरात, पंजाब, मध्य प्रदेश और दिल्ली में हो रही है। अंडरवर्ल्ड भी हमेशा से क्रिकेट सट्टेबाजी में सक्रिय रहा है, इसलिए देश की तमाम जांच एजेंसियों ने अपने-अपने खबरियों का जाल पाकिस्तान से लेकर दुबई तक फैलाया हुआ है।