नई दिल्ली
रेप में कड़ी और जल्द सजा दिलाने वाले अध्यादेश पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 24 घंटे के अंदर ही रविवार को दस्तखत कर दिए। इसके बाद से कानून लागू हो गया है। इसके तहत 12 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप के दोषी को फांसी हो सकेगी। पर यही अपराध 12 साल से कम उम्र के किसी लड़के के साथ हो तो उसमें दोषी को फांसी नहीं होगी। इस बारे में आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश 2018 को कैबिनेट ने शनिवार को मंजूरी दी थी। अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही बच्चों के यौन अपराध से जुड़े पहले के कानून भी संशोधित हो गए हैं। इनमें पॉक्सो कानून, आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस ऐक्ट से जुड़ी धाराएं हैं। दिल्ली हाई कोर्ट में वकील अशोक अग्रवाल के मुताबिक, सरकार ने 12 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप और गैंगरेप में फांसी का प्रावधान तो कर दिया, लेकिन यही अपराध 12 साल से कम उम्र के किसी बच्चे के साथ हो तो उसमें दोषी को फांसी नहीं होगी। क्योंकि फांसी के प्रावधान के लिए सिर्फ इससे जुड़ी आईपीसी की धाराएं बदली गई हैं, जबकि पॉक्सो ऐक्ट में बदलाव नहीं हुए जो 18 साल के कम उम्र के बच्चों के यौन अपराधों से जुड़े हैं।
पॉक्सो ऐक्ट लिंग के आधार पर भेद नहीं करता। कानून पर जारी नोटिफिकेशन में कहा गया कि संसद का सत्र अभी नहीं चल रहा है और राष्ट्रपति इस बात से संतुष्ट हैं कि जो परिस्थितियां हैं, उनमें यह आवश्यक था कि वह तुरंत कदम उठाएं। CrPC में ये बदलाव
इसमें बदलाव करके रेप केस का ट्रायल दो महीने में पूरा करने को जरूरी बनाया गया है।
16 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप में आरोपी की अग्रिम जमानत का प्रावधान भी खत्म किया है।
आरोपी की जमानत पर सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष या उसके पैरोकार की मौजूदगी को सुनिश्चित किया गया है।
IPC में ये बदलाव
रेप में दोषी के लिए न्यूनतम 7 साल से लेकर उम्रकैद तक के प्रावधान को बदलकर न्यूनतम 10 साल से लेकर उम्रकैद किया गया।
12 साल से कम उम्र की बच्ची से गैंगरेप में दोषी को कम से कम उम्रकैद (ताउम्र जेल में) और अधिकतम सजा फांसी होगी।
12 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप में दोषी को न्यूनतम 20 साल कैद से लेकर मरते दम तक जेल या फिर फांसी का प्रावधान।
16 साल से कम उम्र की किशोरी से रेप में दोषी को कम से कम 20 साल और ज्यादा से ज्यादा ताउम्र कैद का प्रावधान हुआ।
अगर 16 साल से कम उम्र की बच्ची से गैंगरेप होता है तो दोषी को जीवनभर कैद में रहना होगा। पुनर्वास, जुर्माने की रकम भी पीड़ित को।
बच्चों से यौन अपराध के खिलाफ पहले से है पॉक्सो
18 साल से कम उम्र के लड़के और लड़कियों के साथ किसी भी तरह का यौन अपराध इसके दायरे में आता है। इस ऐक्ट के जरिए सेक्सुअल असॉल्ट, सेक्सुअल हैरसमेंट और पॉर्न जैसे अपराधों से भी प्रोटेक्ट किया गया है। सेक्शन-3 के तहत कोई शख्स किसी बच्चे के शरीर के किसी भी हिस्से में प्राइवेट पार्ट डालता है या फिर बच्चे के प्राइवेट पार्ट में कोई ऑब्जेक्ट डालता है या बच्चे को किसी और के साथ ऐसा करने के लिए कहता है तो यह क्राइम है। सेक्शन-4 के तहत दोषी को कम से कम 7 साल और ज्यादा से ज्यादा उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। पॉक्सो में यही बदलाव हुआ है कि अगर शख्स को कई धाराओं में दोषी ठहराया गया है, तो जिसमें ज्यादा सजा होगी, वही लागू होगी।