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पूर्व एसटीएफ चीफ रघुवंशी बोले डर लगता है नक्सली सी-60 फोर्स से

मुंबई
जिस सी-60 फोर्स ने रविवार को महाराष्ट्र के गढचिरैली के ताड़गांव जंगल में 16 नक्सलियों को एनकाउंटर में मार गिराया, उसे 27 साल पहले पूर्व एटीएस चीफ के. पी रघुवंशी ने बनाया था। सी- 60 का मूल नाम है- क्रेक 60 । रघुवंशी ने कहा कि नक्सली आज सबसे ज्यादा डरते हैं, तो वे इसी सी-60 (कमांडो) फोर्स से। उनके अनुसार, वह 1990 के आसपास वहां एसपी बन कर गए थे। उस वक्त पूरे जिले में सिर्फ 1200 पुलिस फोर्स थी। उन्होंने इसी में से सी-60 फोर्स के लिए सेलेक्शन किया था। आज गढचिरैली में 5000 की पुलिस फोर्स है। इस सी-60 फोर्स पर दो साल पहले फिल्म बनने की भी बात चली थी। अक्षय कुमार रघुवंशी का रोल करने वाले थे, पर अज्ञात कारणों से फिल्म बाद में ठंडे बस्ते में चली गई। रघवुंशी ने माना कि उनसे एक बार इस फिल्म के लिए संपर्क किया गया था। उनके अनुसार, हमने 60 लोगों से इस ग्रुप की शुरुआत की थी। आज इसकी संख्या 1200 तक पहुंच गई है। महाराष्ट्र के लिए यह गर्व करने वाली फोर्स है। महाराष्ट्र पुलिस को जब सबसे पहले एके-47 दी गई थी, तब मुंबई यूनिट के अलावा सी-60 को एके-47 बांटी गई थीं। आज इस फोर्स के पास अत्याधुनिक हथियार हैं। गढचिरैली में इस फोर्स के लिए ट्रेनिंग सेंटर भी बनाया गया है।

फोर्स जॉइन करने के ल‍िए क‍िया प्रेर‍ित
रघुवंशी ने गढचिरैली के लोगों को पुलिस फोर्स जॉइन करने के लिए प्रोत्साहित किया था, क्योंकि जो स्थानीय लोग उस वक्त पुलिस फोर्स में थे, उन्हें नक्सलियों ने इतना प्रताड़ित किया था, कि नए युवक पुलिस में आने से डरते थे। रघुवंशी ने फिर प्रताड़ित इन पुलिस कर्मियों की एक मीटिंग बुलाई थी और उनसे कहा था कि हम लोग तो बाहर के होते हैं। दो-तीन साल बाद ट्रांसफर हो जाते हैं। तुम लोग लोकल हो। तुम्हीं इस समस्या का समाधान बताओ। तब पुलिस में भर्ती कुछ स्थनीय युवकों ने कहा था कि जिस तरह नक्सली 15- 15, 20- 20 के ग्रुप में हथियारों के साथ घूमते हैं, उसी तरह हम लोगों का भी ग्रुप बनाकर हमें भी उसी तर्ज कर हथियार देकर जंगलों में छोड़ दिया जाए। हम फिर उनसे अच्छी तरह से निपट लेंगे।

ऐसे हुआ सी-60 का जन्‍म
आद‍िवासी लड़कों की यह योजना रघुवंशी को पसंद आई। मगर उन्‍हें पता था कि यह जोख‍िम वाला काम है। सुरक्षा को देखते हुए उनके मन में व‍िचार आया कि क्यों न पुलिस में भर्ती हुए इन आदिवासी व कुछ अन्य लड़कों को मोटिवेट किया जाए और उनका एक ग्रुप बनाकर उन्हें ट्रेनिंग दी जाए। यहीं से सी-60 का जन्म हुआ। रघुवंशी ने 27 साल पहले कुल 100 लोगों को सेलेक्शन किया था।। इन्हें ट्रेनिंग दिलवाई और फिर इन 100 में से 60 लोगों को किसी भी ऐक्शन के लिए रिजर्व कर दिया। इसी बहाने उन्होंने उस फोर्स का नाम डाल दिया- क्रेक 60 । क्रेक का चूंकि पहला अक्षर अंग्रेजी में सी से शुरू होता है, इसलिए यह फोर्स C 60 के नाम से विख्यात हो गई।

नक्‍सल‍ियों के ग्रुप में आई दरार
सोमवार को महाराष्ट्र के डीजीपी सतीश माथुर ने बताया कि नक्सलियों के ग्रुपों में अब फूट पड़ गई है। उन्होंने कहा कि पुलिस के पास नक्सलियों के एक ग्रुप को लेकर पक्की सूचना थी। उस ग्रुप के खिलाफ ट्रैप लगाया गया। उनसे सरेंडर करने को कहा गया। जब वो लोग नहीं माने, तो सी-60 फोर्स के साथ हुए एनकाउंटर में 16 नक्सली मारे गए। मारे गए नक्सलियों में नक्सली नेता साईनाथ और सीनू भी शामिल हैं। इस ऑपरेशन को अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई माना जा रहा है।

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