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‘एक दिन एक गांव’ के तहत दलितों को साधने में लगी बीजेपी, अब अमरोहा के मेहंदीपुर में रुकेंगे सीएम योगी

मेरठ
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को अमरोहा के गांव मेहंदीपुर में बिना ठाठबाट के देहाती अंदाज में वक्त गुजारेंगे। सीएम योगी ‘एक दिन गांव के लिए’ के तहत ग्रामीणों से सीधा संवाद कर उनका दर्द जानेंगे। बताया जा रहा है कि सीएम योगी के लिए गांव में एसी या कूलर नहीं लगाया जाएगा और वह गांववालों की तरह ही एक तख्त पर सोएंगे। दरअसल, सीएम और बीजेपी की यह कवायद दलितों के दिल में उतरने के तौर पर देखी जा रही है। गौरतलब है कि अब तक दूसरे मंत्रियों, नेताओं या अफसरों का गांव का दौरा होने से वीवीआईपी इंतजाम किए जाते रहे हैं। चंद घंटे के लिए ही सही लेकिन एसी लगाया जाना और कार्पेट बिछाया जाना भी आम था। फाइव स्टार होटल से से खाना लाया जाता था। सीएम योगी की ओर से कोशिश की जा रही है कि खुद को एक आम आदमी की तरह पेश किया जाए।

बीजेपी के वेस्ट यूपी के अध्यक्ष अश्वनी त्यागी का कहना है, ‘योगी जी दिखावे में विश्वास नहीं करते। वह सीएम बनने से पहले गोरखपुर में साधारण इंसान की तरह जीवन जीते थे, गाय की सेवा करते थे। अब वह गांव में जा रहे हैं तो उनका मानना है कि उनको गांववालों के दुख-दर्द से वाकिफ होना चाहिए। उनका कहना है कि कोई विशेष इंतजाम नहीं होने चाहिए।’

एक अधिकारी के मुताबिक, सीएम की हिदायत के बाद प्रशासन ने गांव का तो कायाकल्प कर दिया लेकिन योगी के ठहरने और बैठने के लिए साधारण ही व्यवस्था की गई है। गांव में बिजली, सड़क, सफाई सब दुरुस्त करा दी गई है, गांव चमक रहा है। गांव के हरपाल सिंह का कहना है कि अगर एक साल में एक बार भी सीएम का दौरा हो जाए तो स्थिति सुधर जाएगी।

व्यवस्था में लगे एक प्रशासनिक अधिकारी का कहना, ‘सीएम के साफ निर्देश हैं कि जब राधा स्वामी सत्संग आश्रम सैदनगली में लगने वाली चौपाल में गांववालों के बीच बैठा जाए तो उन्हें लगे कि कोई सीएम नहीं उनका भाई या भतीजा (अपना) साथ में बैठा है। जिस तरह चौपाल पर मूढ़े होते हैं, उसी तरह एक मूढ़ा उनके लिए हो। कागज रखने के लिए मेज की जगह स्टूल हो। किसी ग्रामीण को अपनी बात रखने से रोका नहीं जाए, सीधा उनके पास आने दिया जाए। अधिकारियों के मुताबिक सीएम चाहते हैं कि उनके आने के बाद लोगों को खासकर दलितों को लगे कि वाकई उनके हक में कुछ हुआ है।’

प्रधान का आग्रह भी माना गया

दरअसल,बीजेपी और सीएम की योजना है कि खाना दलितों के घर खाया जाए। इसके तहत अफसरों ने मेहंदीपुर गांव में दलित ग्राम प्रधान प्रियंका देवी के घर को चुना था। बुधवार को ग्राम प्रधान को बताया गया था कि सीएम का खाना उनके घर बनेगा जरूर लेकिन खाना उनका रसोइया आकर बनाएगा। जबकि ग्राम प्रधान प्रियंका देवी और उनके पति गजेंद्र सिंह का कहना था कि जिस दिन से सीएम के खाना खाने के बात बताई गई थी, वह तैयारी कर रहे थे। अपने मेहमान को बाहर का खाना नहीं खाने देंगे।

प्रियंका देवी ने अफसरों से यहां तक कह दिया था कि सीएम की पसंदीदा परवल और लौकी की सब्जी के साथ मसूर की दाल भी वह बनाने की तैयारी कर चुकी हैं। वह भी बिना लहसुन और प्याज के। बताते हैं कि गुरुवार को तय हुआ कि ग्राम प्रधान जो खुद बनाएंगी उसे सीएम के सामने परोसा जाएगा। बाकी रसोइया भी जो बनाएगा उसे भी परोसा जाएगा।

मंत्री ने ली क्लास
सूबे के खेलमंत्री चेतन चौहान ने अफसरों से कहा कि कुछ लोग शिकायत के नाम पर प्रोग्राम को खराब करने की कोशिश कर सकते हैं। मंत्री ने डीएम की मौजूदगी में राशन कार्ड, कर्जमाफी, किसानों की आरसी जारी होना, गन्ने का भुगतान होना आदि मुद्दों पर अपडेट रहने के अलावा हसनपुर क्षेत्र में बड़ी तादाद में बंदरों और मोरों की मौत पर नाराजगी जाहिर की।

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