मुंबई
आजादी के 70 सालों बाद भी देश की एक बड़ी आबादी को पीने का स्वच्छ पानी नहीं मिल पा रहा है। महाराष्ट्र की सरकारी स्वास्थय लेबोरेट्री ने अपने एक अध्ययन में कहा है कि महाराष्ट्र के 30 जिलों में पानी के जो नमूने एकत्र किए गए हैं, उनमें से 30 जिलों के नमूने बताते हैं कि अभी भी वहां पानी दूषित मिल रहा है। इस दूषित पानी को पीने से हजारों नागरिक अनेक असाध्य बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। महाराष्ट्र पब्लिक हेल्थ लेबोरेट्री ने पानी के ये नमूने अनेक स्त्रोतों जैसे बोर वैल, कुंए, सरकारी तालाब, पानी के टैंकरों आदि से एकत्र किए हैं, जो गांव और शहरी क्षेत्रों से लिए गए हैं। पानी के इन नमूनों में भारी स्तर पर दूषित होने के लक्षण मिले हैं।
उसने बताया है कि इन नमूनों में मुंबई शामिल नहीं है। अर्थात महाराष्ट्र के दो जिलों को छोड़कर (मुंबई में दो जिले हैं) बाकी 34 अन्य जिलों का यह अध्ययन है। ये नमूने इस साल मार्च में लिए गए थे। सबसे ज्यादा खराब हालात वाशिम जिले के हैं, जिसमें 27 प्रतिशत नमूनों में पानी के दूषित होने के लक्षण मिले थे। हिंगोली में 24 प्रतिशत और चंद्रपुर में 21 प्रतिशत नमूने दूषित पानी के मिले थे। वहीं, औरंगाबाद, नांदेड और रायगढ में 20 प्रतिशत नमूने और अकोला, बुलढाणा, यवतमाल, जालना, गोंडिया, पालघर और सिंधुदुर्ग में 15 प्रतिशत नमूने दूषित पानी के मिले थे।
इस लैबरेट्री के उप निदेशक डा. सुहास भाखरे का कहना है कि लोगों को स्वस्थ रहने के लिए साफ और पीने लायक पानी पीना चाहिए। लेकिन जिस स्तर पर इन जिलों में पानी के दूषित होने के लक्षण मिले हैं, इससे ऐसा लगता है कि समस्या भयंकर है और सरकार एवं अन्य संस्थाओं को आगे आकर इस समस्या पर नियंत्रण रखना चाहिए। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे जागरूकता फैलाएं और नागरिकों को अपने स्तर पर ही साफ जल उपलब्ध कराने की व्यवस्था करें।