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सीरियल से सीख लेकर अपराध को दिया अंजाम, मिली आजीवन कारावास की सजा

मुंबई
अपराध की एक फिल्मी कहानी से पर्दा उठने के बाद आरोपी को सजा सुनाई गई है। एक टीवी सीरियल में देखने के बाद छिपकली को अंटाप हिल में 53 साल की रंजना नागोदकर व उनकी साढ़े तीन साल की नातिन वैष्णवी की हत्या से चंद दिन पहले खौलते दूध में उबाल दिया गया। पिछले सप्ताह सेशन कोर्ट ने इस सनसनीखेज हत्याकांड में विशाल श्रीवास्तव उर्फ सोनू को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। रंजना व वैष्णवी अंटाप हिल में इंदिरा नगर को-ऑप. हाउसिंग सोसाइटी में बी विंग के घर में रहती थीं। सोनू उस मोहल्ले में तीसरी बिल्डिंग में रहता था, पर उसकी बिल्डिंग की छत और रंजना की बिल्डिंग की छत एक-दूसरे से मिलती थी। रंजना के पति और बेटा दोनों कभी पुलिस फोर्स में थे, पर कुछ-कुछ साल के अंतराल पर दोनों की मौत हो गई, इसलिए रंजना ने अपने घर में अपने साथ बेटी शीतल और दामाद संतोष को भी रख लिया था। शीतल और संतोष-दोनों ही नौकरी करते थे। शीतल की ड्यूटी सुबह 10 से 5 बजे की थी, जबकि संतोष की दोपहर 2 से रात 9 की नौकरी थी। 3 जून, 2011 को जब शीतल ड्यूटी से घर लौटी, तो उसने बेटी और मां को खून से लथपथ पाया। उसने कपाट से 22 ग्राम सोना व कुछ हजार रुपये भी गायब पाए। लोकल पुलिस और क्राइम ब्रांच को मोटिव रॉबरी समझ में आया, पर यह रॉबरी किसने की, यह पता नहीं चल पा रहा था। ऐसे में सीनियर इंस्पेक्टर निशिकांत पाटील, भास्कर जाधव, हृदय मिश्र की टीम ने रंजना, शीतल और संतोष के पूरे परिवार व परिचितों की जानकारी निकाली और फिर बिल्डिंग के लोगों से भी पूछताछ की।

इसमें कई बातें समझ में आईं। पहली तो यह, कि बिल्डिंग में दोपहर 2 से 4 बजे तक लि‌फ्ट बंद रहती है। दूसरे, पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला कि रंजना और वैष्णवी की हत्या 2 से 3 बजे के बीच की गई। जब बिल्डिंग के लोगों से पूछा गया, तो पता चला कि संतोष दोपहर करीब एक बजे नीचे उतरने के बाद वापस भी घर लौटे थे। दूसरे, शीतल के परिचित विशाल श्रीवास्तव उर्फ सोनू ने आरोप लगा दिया कि संतोष और शीतल का अक्सर झगड़ा होता रहता था, इसलिए संभव है कि प्रॉपर्टी को लेकर संतोष ही इस हत्याकांड के पीछे हो।

हजम नहीं हुई कहानी
पर क्राइम ब्रांच को सोनू की कहानी हजम नहीं हो रही थी, इसलिए उसका मोबाइल का डेटा निकाला गया। पता चला कि वह वारदात वाले दिन दोपहर तीन बजे के करीब अंटाप हिल में था। 4 बजे वह सीएसटी स्टेशन आया। 5 बजे वह वापस अंटाप हिल आ गया। उसके मोबाइल के सीडीआर में पता चला कि उसने रात करीब पौने 12 बजे अपने एक दोस्त को फोन किया था। पुलिस ने फिर इस दोस्त से सोनू के देर रात आए कॉल के बारे में पूछताछ की।

दोस्त ने बताया कि सोनू ने जब कॉल किया, तो कहा कि आज उसे नींद नहीं आ रही, इसलिए वह उसके साथ सोने उसके घर आ जाए। दोस्त उस रात सोनू के घर में ही सोया भी। इसके बाद इस दोस्त से सोनू के परिवार की पूरी पृष्ठभूमि निकाली गई। पता चला कि उसके पिता पहले मुंबई में चमड़े का कारोबार करते थे, बाद में वह कानपुर शिफ्ट हो गए। सोनू का एक भाई अमेरिका में है। वह ही सोनू को हर महीने रकम भेजता था। बाद में भाई ने उसे रकम भेजनी बंद कर दी।

कानपुर कनेक्शन
जांच में यह बात भी सामने आई कि सोनू के अमेरिका वाले भाई ने दूसरी शादी की है। भाई की पहली पत्नी ने मुंबई में किसी पुलिस स्टेशन में सोनू के भाई और उसके परिवार के खिलाफ दहेज प्रताड़ना यानी आईपीसी के सेक्शन 498 ए के तहत अप्लीकेशन दी है। लोकल पुलिस और क्राइम ब्रांच की अलग-अलग यूनिट्स ने इसके बाद सोनू से कभी प्यार से, तो कभी सख्ती से पूछताछ की। फिर भी कहीं से यह केस सुलझ ही नहीं रहा था, इसलिए सोनू को जाने दिया गया। करीब दो महीने बाद सोनू ने लोकल पुलिस को एक लेटर दिया कि वह कानपुर जा रहा है।

यदि कभी भी उससे पूछताछ की जरूरत पड़े, तो पुलिस उसके पिता के नंबर पर उससे बात कर सकती है। इस पत्र के बाद उसके ऊपर शक कम भी हुआ और बढ़ भी गया। उसके कानपुर शिफ्ट होने के करीब तीन महीने बाद क्राइम ब्रांच की यूनिट-दो की टीम ने उसके जिगरी दोस्त के जरिए उसे फोन करवाया कि कानपुर में उसका क्या चल रहा है और वह मुंबई कब लौट रहा है? सोनू ने जवाब में कहा कि उसने कानपुर के एक जूलर के यहां नौकरी कर ली है। फिर उसका कानपुर में ताजमहल जैसा घर है। ऐसे में मुंबई में वह छोटी कोठरी में रहकर अब क्या करेगा?

नहीं की नौकरी
इस जवाब के बाद क्राइम ब्रांच की यूनिट-दो ने फिर कानपुर जाने और वहां यह पड़ताल करने का फैसला किया कि क्या सोनू वाकई वहां नौकरी कर रहा है? जांच टीम वहां उस जूलर के यहां गई, जहां सोनू ने नौकरी करने की बात बताई थी। जूलर को फोटो दिखाया गया और बताया गया कि यह बंदा कानपुर में फलां-फलां मोहल्ले में रहता है। क्या यह आपके यहां नौकरी करता है? जूलर ने जवाब न में दिया, पर यह भी कहा कि इस मोहल्ले का एक अन्य युवक हमारे काम नौकरी करता है। वह दूसरी शिफ्ट में ड्यूटी पर आएगा। क्राइम ब्रांच टीम ने उस युवक का इंतजार किया और ड्यूटी पर आते ही उसे फोटो दिखाया। उसने तुरंत पहचान लिया- अरे यह तो अपना सोनू है, अपना पड़ोसी। सोनू ने नौकरी का झूठ क्यों बोला? उस पर शक और गहरा गया।

दोस्त को कॉल
इसके बाद क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने मुंबई में सोनू के जिगरी दोस्त को फोन किया और उससे कहा कि वह कानपुर फोन करे और सोनू से कहे कि उसके (दोस्त के) कोई परिचित चमड़े का सामान लेने कानपुर आए हुए हैं। वह रेलवे स्टेशन के पास एक होटल में ठहरे हुए हैं। उनका एटीएम कार्ड काम नहीं कर रहा है। वह उन्हें होटल जाकर दस हजार रुपये दे दे। वह मुंबई वापस जाते ही उसके अकाउंट में रकम ट्रांसफर कर देंगे। सोनू तैयार हो गया और रिक्शे में बैठकर होटल के बाहर पहुंच गया। क्राइम ब्रांच टीम ने उसे शुक्रिया बोला और कहा कि आओ, अब हम तुम्हें अपनी इन्होवा कार से तुम्हारे घर छोड़ देते हैं। इसके बाद उसे कार में बैठाया गया, लेकिन जांच टीम इस कार को उसके घर की तरफ नहीं ले गई, बल्कि उसे लेकर वाराणसी एयरपोर्ट के लिए निकल पड़ी।

कानपुर से वाराणसी के बीच उसे बताया गया कि तुम्हारी भाभी ने तुम्हारे परिवार के खिलाफ 498- ए के तहत जो अप्लीकेशन दी है, हम अपने डीसीपी के आदेश पर तुम्हें उसी केस के सिलसिले में मुंबई ले जा रहे हैं। वहां स्टेटमेंट देकर तुम कानपुर वापस आ जाना लेकिन वाराणसी में प्लेन में बैठने के बाद क्राइम ब्रांच टीम ने उससे कहा कि तुम्हें क्या लगता है कि हम लोग इतनी दूर से 498-ए के केस के लिए आए हैं? हमें सीधे-सीधे बताओ कि रंजना नागोदकर व वैष्णवी के कत्ल के बारे में तुम क्या जानते हो? जैसे ही उसने बताया कि उसने जो सुना, उसके मुताबिक रंजना और वैष्णवी घर में अकेली थीं, तब किसी ने डम्बेल से उनका मर्डर कर दिया। क्राइम ब्रांच जांच टीम ने उसे वहीं घेर लिया। उससे कहा कि हमने दर्जनों लोगों से पूछताछ की, पर डम्बेल से कत्ल की यह कहानी तो हमने पहली बार तुमसे ही सुनी। बताओ, तुम्हें यह किसने बताया?

यह था मोटिव
इसके बाद सोनू प्लेन में टूट गया और अपना जुर्म कबूल कर लिया। उसने हत्या के पीछे के मोटिव को विस्तार से बताया। उसने कहा कि उसका रंजना के घर नियमित आना-जाना था। उसने रंजना की बेटी शीतल से कक्षा 8 से 10 तक लगातार ट्यूशन भी पढ़ी। बाद में उसने होटल मैनेजमेंट भी किया। उसका अमेरिका वाला भाई उसे नियमित रकम भिजवाता था, लेकिन जब भाई ने रुपये भेजने बंद कर दिए, तो उसे आर्थिक तंगी होने लगी। उसी दौरान जब वह एक दिन रंजना के घर गया, तो रंजना को शीतल से यह पूछते सुना कि सोने के गहने बैंक लॉकर में क्यों नहीं रखवातीं? शीतल ने जवाब में कहा कि कुछ दिनों बाद लॉकर लेंगे, क्योंकि लॉकर लेने के लिए दस हजार डिपॉजिट लगता है, इतनी रकम अभी है नहीं।

मां-बेटी का वार्तालाप
मां-बेटी के इस वार्तालाप से सोनू के दिमाग में दो बातें घूमीं। पहली तो यह कि घर में गहने हैं। दूसरे, यह कि गहने कभी भी बैंक लॉकर में जमा हो सकते हैं। चूंकि उसे यह पता था कि रंजना के घर के कपाट की चाभी किचन में एक कटोरी में रखी रहती है, इसलिए उसने रंजना और वैष्णवी के कत्ल करने का फैसला किया। उसे रंजना की बेटी शीतल और दामाद संतोष के ड्यूटी टाइमिंग का पता था, इसलिए उसने दोनों के घर में न रहने के दौरान ही रंजना और नातिन वैष्णवी का कत्ल कर गहने लूटने का फैसला किया। पहले उसने जहर देकर दोनों की जान लेने की साजिश रची। उसने एक दिन जिंदा छिपकली को पकड़ा और उसे गर्म दूध में उबाल दिया। उसने किसी टीवी शो में देखा था कि इससे जहर फैलता है। पर रंजना ने उसके उस दिन दूध पीने के ऑफर को ठुकरा दिया इसीलिए फिर उसने कुछ दिन बाद डम्बेल से दोनों की हत्या का मन बनाया।

कत्ल के बाद पहनी साड़ी
3 जून, 2011 को रंजना के दामाद संतोष के घर से निकलते ही वह बिल्डिंग की छत से उतरकर उनके घर पहुंचा और फिर कुछ ही मिनट के अंतराल में रंजना और वैष्णवी का कत्ल कर दिया। इसके बाद उसने कपाट खोलकर वहां से कैश और गहने निकाले और कपाट में रखी संतोष की टी शर्ट और शीतल की साड़ी पहन ली। फिर घूंघट डालकर छत पर चला गया। छत पर उसने साड़ी खोली, बिल्डिंग के बाहर आया और लोकल ट्रेन पकड़ कर सीएसटी आ गया। यहां से वह कानपुर जाने वाली ट्रेन में बैठकर भागने को था, लेकिन बाद में उसने सोचा कि यदि भागेंगे, तो शक के घेरे में आ जाएंगे इसीलिए वह लोकल ट्रेन में बैठकर वापस अंटाप हिल पहुंच गया। इसके बाद उसने जांच एजेंसियों के सामने बहुत-सी कहानियां बनाईं, लेकिन कानुपर में जूलर के यहां नौकरी करने की कहानी ने उसे सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।

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