मुंबई
कर्नाटक में सरकार बचाने की कोशिश के लिए शिवसेना ने सोमवार को बीजेपी पर निशाना साधा। येदियुरप्पा की सरकार बचाने की बीजेपी की कोशिश पर शिवसेना ने कहा कि वह देश को कांग्रेस मुक्त बनाने का रास्ता नहीं है। देश में लोकतंत्र को बचाने की जरूरत पर जोर देते हुए शिवसेना ने कहा कि कोई सरकार अपने फैसले लोगों पर थोपने के लिए संविधान का इस्तेमाल नहीं कर सकती। अपने मुखपत्र ‘सामना’ में शिवसेना ने यह आरोप भी लगाया कि राज्यपाल और राष्ट्रपति कभी-कभी सरकार के एजेंट की तरह काम करते हैं। इसमें कहा गया है, ‘वे राज्य और देश के संवैधानिक प्रमुख हैं लेकिन वे संवैधानिक नियमों के उलट व्यवहार करते हैं।’ कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला द्वारा येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के उनके पिछले फैसले और बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन दिए जाने के खिलाफ शिवसेना की यह टिप्पणी आई है। हालांकि , येदियुरप्पा शक्ति परीक्षण के दौरान बहुमत नहीं जुटा सके और उन्होंने मुख्यमंत्री पद से शनिवार को इस्तीफा दे दिया। संपादकीय में कहा गया है, ‘कर्नाटक में बीजेपी के सत्ता में आने से नाकाम रहने पर हम बहुत दुखी हैं। लेकिन उसने इसे (सरकार को) बचाने के लिए जो कोशिश की , वह भारत को कांग्रेस मुक्त बनाने का रास्ता नहीं है।’
पार्टी ने कहा है, ‘यह लोकतंत्र, व्यक्ति की स्वतंत्रता और देश में प्रेस की आजादी को और कमजोर करेगा। संसदीय लोकतंत्र में हमें स्वतंत्र संसद और स्वतंत्र मीडिया की जरूरत है।’ शिवसेना ने आरपीआई (ए) प्रमुख रामदास अठावले को भी आड़े हाथ लेते हुए कहा कि उन्होंने कहा था कि यदि बीजेपी ने संवैधानिक नियमों का उल्लंघन किया, तो वह एनडीए छोड़ देंगे। पार्टी ने हैरानगी जताते हुए पूछा, ‘कर्नाटक विधानसभा में जो कुछ हुआ क्या वह संविधान के खिलाफ नहीं है? ’ गौरतलब है कि आरपीआई (ए) एनडीए का एक घटक दल है, जिसमें अठावले केंद्रीय सामाजिक न्याय (राज्य) मंत्री हैं।