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कॉलेज में हिजाब पर रोक लगाए जाने पर अदालत पहुंची छात्रा, 25 मई को सुनवाई

मुंबई, होम्योपैथी की एक छात्रा ने कम उपस्थिति के कारण कॉलेज द्वारा लिखित परीक्षा में शामिल होने से रोके जाने के खिलाफ मुंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। इस छात्रा ने दावा किया है कि उसे हिजाब पहन कर कक्षा में आने से रोक देने की वजह से उसकी उपस्थिति कम हुई है। इस मामले में 25 मई को सुनवाई होगी। बांद्रा की रहने वाली फाकिहा बादामी ने याचिका में दावा किया है कि उसकी उपस्थिति कम है, क्योंकि उसे हिजाब पहनकर कक्षा में उपस्थित होने से रोक दिया गया। साई होम्योपैथी मेडिकल कॉलेज पड़ोसी ठाणे जिले के भिवंडी उपनगर में स्थित है। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि कॉलेज ने अपने परिसर में सभी मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने पर रोक लगा रखी है।

हिजाब नहींं पहहने के ल‍िए बाध्य नहीं कर सकता कॉलेज
याचिका के मुताबिक, बादामी ने कॉलेज के बैचलर ऑफ होम्यापैथिक मेडिसिन ऐंड सर्जरी पाठ्यक्रम में 2016 में नामांकन कराया था। यह कॉलेज महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ सर्विसेज (एमयूएचएस) से संबद्ध है। याचिका के अनुसार, छात्रा ने एमयूएचएस और आयुष मंत्रालय (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) को पत्र लिखे थे, जिसमें कॉलेज से कहा गया कि वह इस मुद्दे को सुलझायें। मंत्रालय ने यह भी कहा कि कॉलेज छात्रा को हिजाब नहीं पहनने के लिये बाध्य नहीं कर सकता। परंतु कॉलेज ने उसकी बात नहीं मानी।
नवंबर 2017 में उच्च न्यायालय पहुंची थी
छात्रा सबसे पहले नवंबर 2017 में उच्च न्यायालय पहुंची थी, उस समय भी उसे परीक्षाओं में भाग लेने की अनुमति नहीं दी गई थी। याचिका के अनुसार, उस समय कॉलेज ने उच्च न्यायालय से कहा था कि उसे दोहराए जाने वाली कक्षाओं और 2018 की गर्मी में आयोजित होने वाली परीक्षाओं में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। बादामी ने याचिका में दावा किया है कि इसके बावजूद उसे सिर्फ इस साल मार्च से दोहराए जाने वाली कक्षाओं में शामिल होने दिया गया और एक बार फिर कम उपस्थिति के कारण उसे परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया गया है। याचिकाकर्ता में कहा गया है कि दूसरी मुस्लिम छात्राओं ने या तो हिजाब पहनना बंद कर दिया था या फिर उन्होंने इस संस्थान को छोड़ दिया था। परंतु चूंकि उसने हिजाब पहनना जारी रखा, इसिलए उसे परेशान किया जा रहा है।

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