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जेल में दरबार, फ्रिज में लाश, डॉन के साथी ने किया सनसनीखेज खुलासा

मुंबई
कई साल पहले शाहरुख खान और जूही चावला की एक फिल्म आई थी- ‘फिर भी दिल है हिंदुस्तानी।‘ उस फिल्म में जूही जेल के अंदर एक स्टिंग करके दिखाती हैं कि किस तरह एक नेता को वहां हर तरह की सुविधाएं मिली हुई हैं। यहां तक कि उस नेता के बैरक में फ्रिज भी रखा हुआ है। मुंबई से सटे पेल्हार के चर्चित फ्रिज हत्याकांड में गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में भी यूपी की नैनी जेल में एक डॉन को मिल रही सुविधाओं का किस्सा सामने आया है। यह डॉन है सुभाष सिंह ठाकुर। यह वही ठाकुर है जिसे मुंबई के चर्चित जेजे शूटआउट में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। उसी केस में कुछ दिनों पहले दुबई से डिपोर्ट दाऊद इब्राहिम के खासमखास फारुख टकला की मुंबई क्राइम ब्रांच ने कस्टडी ली थी। इसी सुभाष सिंह ठाकुर की नैनी जेल से पेल्हार हत्याकांड में कस्टडी लेने की वालिव पुलिस द्वारा कानूनी प्रक्रिया की जा रही है। पेल्हार इलाका वालिव पुलिस स्टेशन में ही आता है।

डॉन का यह है ‘बॉस’
इस केस की जांच टीम से जुड़े इंस्पेक्टर हितेंद्र विचारे के अनुसार, सुभाष सिंह ठाकुर कई दशक पहले वसई-विरार इलाके में रह चुका है। तेजी से विकसित हो रहे इलाके में उसने अपने लोग इस इलाके में भेजे हुए हैं। उनमें से एक है आशुतोष मिश्र। आशुतोष को उसके पंटर बॉस के नाम से पुकारते हैं। इसी बॉस के अंडर में कैलाश वाघ, दीपक मलिक और अनिल सिंह भी काम करते हैं। ये सब के सब बॉस के साथ नैनी जेल में डॉन सुभाष सिंह ठाकुर से कई बार न सिर्फ मिल चुके हैं, बल्कि वसई-विरार के कई लोगों को मिलवा भी चुके हैं।

सुभाष सिंह ठाकुर के इन लोगों को वसई-विरार के कुछ बिल्डरों ने दूसरे बिल्डरों की सुपारी दी थी। जिनकी सुपारी दी गई थी, उनमें से कई के दफ्तरों में ये आरोपी जाते थे, उन्हें सुभाष सिंह ठाकुर से नैनी जेल में मिलने को कहते थे। कुछ लोग मान जाते थे और सुभाष सिंह के पास जेल पहुंच जाते थे। कुछ वहां जाने के लिए न कर देते थे। जो न कर देते थे, वे लोग तो सुभाष सिंह ठाकुर के टारगेट पर आ ही जाते थे।

जो लोग नैनी जेल जाकर भी सुभाष सिंह की हां में हां नहीं मिलाते थे, उनकी भी टारगेट लिस्ट बनाई जाती थी और फिर ‘बॉस’ यानी आशुतोष को सौंपी जाती थी। ऐसी ही एक लिस्ट लेकर आशुतोष अपने कुछ साथियों के साथ कुछ दिनों पहले वसई-विरार इलाके में आया। इसकी टिप कहीं से पालघर के एसपी मंजुनाथ सिंगे और अडिशपल एसपी राजतिलक रौशन को मिल गई। इसके बाद इन आरोपियों को पकड़ने के लिए एक टीम बनाई गई, जिसमें वालिव पुलिस स्टेशन के सीनियर इंस्पेक्टर संजय हजारे, इंस्पेक्टर हितेंद्र विचारे, मंगेश चव्हाण व कुछ अन्य लोगों को रखा गया।

घर में दी पार्टी
जांच टीम इन आरोपियों को अलग-अलग इलाकों में ढूंढ रही थी, लेकिन इन्होंने अपना ठिकाना पेल्हार में वनोठा पाडा में एक घर में बना रखा था। इस घर में जून के प्रथम सप्ताह में सभी ने एक पार्टी की। इसमें इनका ‘बॉस’ यानी आशुतोष मिश्र भी शामिल हुआ। उस दिन की पार्टी के बाद फिर वह कहीं चला गया। उस पार्टी में शामिल कई आरोपियों में एक कैलाश वाघ का एक परिचित था शुभम राम।

पिछले सप्ताह कैलाश ने उसे अपने पास बुलाया। कैलाश के मुताबिक वहां पार्टी चल रही थी जिसमें अचानक रिवॉल्वर से गलती से गोली चल पड़ी और शुभम की मौत हो गई। कैलाश ने इसके बाद अपने ‘बॉस’ यानी आशुतोष मिश्र को फोन किया। उसने लाश ठिकाने लगाने को कहा। कैलाश वाघ ने अपने दो साथियों दीपक मलिक और अनिल सिंह को बोरा लाने के लिए बाहर भेज दिया। इस बीच कैलाश डर गया कि लाश कहीं सड़ न जाए और इस वजह से उसकी दुर्गंध घर के बाहर न आ जाए। इसीलिए उसने लाश को घर के फ्रिज में रख दिया।

घरवालों को हुआ शक
शुभम जब अगले दिन सुबह भी वापस घर नहीं आया, तो उसकी बहन को घबराहट हुई। उसने शुभम का फोन लगने पर उसने कैलाश को फोन लगा दिया। कैलाश ने उससे कहा कि शुभम तो उसके पास कुछ मिनट के लिए आया था। उसके साथ कोई लड़की थी, उसके साथ वह कहीं चला गया।

बहन को कुछ शक हुआ। उसने और शुभम की मां ने पुलिस में जाने का फैसला किया। पुलिस टीम पहले से ही सुभाष सिंह ठाकुर के लोगों को पकड़ने का ट्रैप लगाए हुए थी। जब मां से पुलिस को शुभम का मोबाइल नंबर मिला और वह बंद मिला, तो उस नंबर का आखिरी लोकेशन निकाला गया। वह पेल्हार में वनोठा पाडा का ही मिला। इसके बाद जांच टीम यहां पहुंच गई और एक घर में छापा डाल दिया।

छापे में कैलाश वाघ हथियारों के साथ मिला और उसी घर में ऑन फ्रिज का दरवाजा थोड़ा खुला मिला। जब उसे गौर से देखा गया, तो उसमें शुभम की लाश पड़ी हुई थी। उसके बाद कैलाश से हुई सख्त पूछताछ के दौरान पूरे केस की परत दर परत खुलती गईं, जिसके तार नैनी जेल में बंद डॉन सुभाष सिंह ठाकुर तक जुड़ गए।

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