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भाजपा ने कहा- आतंकवाद बढ़ने से गठबंधन में रहना मुश्किल था; महबूबा का इस्तीफा, राज्यपाल शासन का रास्ता खुला

नई दिल्ली/श्रीनगर. भाजपा ने जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी से गठबंधन तोड़कर महबूबा मुफ्ती सरकार से समर्थन वापस ले लिया है। भाजपा के सभी मंत्रियों ने मंगलवार को इस्तीफे दे दिए। महबूबा ने भी इस्तीफा दे दिया। दोनों दलों के बीच तीन साल पहले गठबंधन हुआ था। कांग्रेस और पीडीपी ने एकदूसरे के साथ गठबंधन की संभावना से इनकार किया है। वहीं, नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने भी किसी गठबंधन की संभावना से इनकार किया है। राज्यपाल एनएन वोहरा का इसी महीने कार्यकाल खत्म हो रहा था। चर्चा है कि उनका कार्यकाल तीन महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। ऐसे में राज्यपाल शासन लागू के आसार ज्यादा हैं।

दो वजह जो भाजपा ने बताईं : राम माधव ने कहा, ‘‘घाटी में आतंकवाद, कट्टरपंथ, हिंसा बढ़ रही है। ऐसे माहौल में सरकार में रहना मुश्किल था। रमजान के दौरान केंद्र ने शांति के मकसद से ऑपरेशंस रुकवाए। लेकिन बदले में शांति नहीं मिली। जम्मू और कश्मीर क्षेत्र के बीच सरकार के भेदभाव के कारण भी हम गठबंधन में नहीं रह सकते थे।’’

मतभेद की दो असल वजहें: पहली- रमजान के दौरान सुरक्षाबल आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन रोक दें, इसे लेकर भाजपा-पीडीपी में मतभेद थे। महबूबा के दबाव में केंद्र ने सीजफायर तो किया लेकिन इस दौरान घाटी में 66 आतंकी हमले हुए, पिछले महीने से 48 ज्यादा। ऑपरेशन ऑलआउट को लेकर भी भाजपा-पीडीपी में मतभेद था। दूसरी- पीडीपी चाहती थी कि केंद्र सरकार हुर्रियत समेत सभी अलगाववादियों से बातचीत करे। लेकिन, भाजपा इसके पक्ष में नहीं थी।

महबूबा ने कहा- कश्मीर में बाहुबल की नीति नहीं चलेगी : महबूबा मुफ्ती ने कहा, “भाजपा के साथ गठबंधन का मकसद मेल-मिलाप, पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते और यहां के लोगों के साथ बातचीत का था। हमने तीन साल अपनी तरफ से इस मकसद को पूरा करने की कोशिश की। युवाओं से केस वापस लिए, एकतरफा संघर्ष विराम घोषित किया। हमारा मानना है कि जम्मू-कश्मीर में डराने-धमकाने वाली या बाहुबल की नीति कामयाब नहीं हो सकती। जैसे ही भाजपा ने समर्थन वापस लिया, मैंने अपना इस्तीफा राज्यपाल को भेज दिया। हमारा किसी और के साथ गठबंधन करके सरकार बनाने का इरादा नहीं है।”

कांग्रेस ने कहा- सरकार नहीं बनाएंगे: कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा,”पीडीपी के साथ कांग्रेस के सरकार बनाने का सवाल ही नहीं उठता। लेकिन, भाजपा पीडीपी सरकार के सिर पर सारी तोहमत मढ़कर भाग नहीं सकती है। इस सरकार में सबसे ज्यादा जवान शहीद हुए। सबसे ज्यादा आतंकी हमले हुए और सीजफायर वॉयलेशन हुआ।” पीडीपी नेता रफी अहमद मीर ने कहा, ”भाजपा के इस फैसले से हमें आश्चर्य हुआ। हमें इस तरह के कोई संकेत नहीं मिले थे।”

एनसी ने कहा- हमसे किसी ने संपर्क नहीं किया : राज्य में 15 सीटों वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘मैंने गवर्नर से मुलाकात की और कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस को न तो 2014 में जनादेश मिला था, न 2018 में हमारे पास बहुमत है। हमसे किसी ने संपर्क नहीं किया और हम भी किसी से संपर्क नहीं कर रहे। ऐसी स्थिति में राज्य में राज्यपाल शासन लगाने का ही रास्ता बचता है।’’

राज्य में लोगों का जीने का अधिकार खतरे में :राम माधव ने कहा, ‘‘गृह मंत्रालय और एजेंसियों से सूचनाएं लेने के बाद हमने मोदीजी और अमित शाह से सलाह ली। हम इस नतीजे पर पहुंचे कि इस गठबंधन की राह पर चलना भाजपा के लिए मुश्किल होगा। घाटी में आतंकवाद, कट्टरपंथ और हिंसा बढ़ रही है। लोगों के जीने का अधिकार और बोलने की आजादी भी खतरे में है। पत्रकार शुजात बुखारी की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई। ये स्थिति की गंभीरता को बताता है। रमजान के दौरान हमने ऑपरेशन रोके, ताकि लोगों को सहूलियत मिले। हमें लगा कि अलगाववादी ताकतें और आतंकवादी भी हमारे इस कदम पर अच्छी प्रतिक्रिया देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।”

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