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मुंबई में प्लास्टिक बंदी से छोटे व्यापारियों पर फिर ‘मार’

मुंबई
नोटबंदी के बाद छोटे व्यापारियों पर फिर बड़ी मार पड़ने वाली है। मॉनसून के मौसम में प्लास्टिक बंदी होने से उन्हें दिक्कत होगी। नियमों के मुताबिक, विनिर्माण स्तर पर पैकेजिंग करने वालों को प्लास्टिक के इस्तेमाल की छूट है, लेकिन छोटे स्तर पर बिना ब्रैंड के प्लास्टिक का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी। व्यापारी इसे तानाशाही रवैया बता रहे हैं। बीएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि जो व्यापारी प्लास्टिक का उपयोग करना चाहते हैं, वे बकायदा अनुमति लेकर ब्रैंड के नाम से पैकेजिंग कर सकते हैं। इस फरमान से छोटे व्यापारियों में भारी असंतोष है। मुंबई के तमाम व्यापारी संगठनों के प्रतिनिधियों की बैठक बुधवार को दादर में होगी। इसमें प्लास्टिक बंदी के मुद्दे पर रणनीति तय की जाएगी।

गौरतलब है कि मॉनसून के दौरान पैकेजिंग के लिए बड़े पैमाने पर प्लास्टिक का उपयोग होता है। किराना दुकानदारों को तो सामान रखने के लिए भी संकट का सामना करना पड़ेगा।

छोटे व्यापारियों के सवाल

1. बड़े स्तर पर बनाया जाने वाला प्लास्टिक भी होगा प्लास्टिक ही, फिर छोटे व्यापारियों को अनुमति क्यों नहीं है?
2. रोज 2 से 5 किलो प्लास्टिक का उपयोग करने वाले दुकानदार ब्रैंड नाम बनाने का पैसा कहां से लाएंगे?

3 दिन अहम
सरकार द्वारा प्लास्टिक मुद्दे पर विचार के लिए बनाई गई अहम समिति की भी बुधवार को बैठक होगी। इस समिति के समक्ष प्लास्टिक उत्पादकों के विविध संगठनों ने निवेदन किए हैं। व्यापारियों को इस बैठक से काफी आस है। 22 जून को इस मसले पर अदालत में भी सुनवाई होनी है। ऐसे में, अगले तीन दिन प्लास्टिक बंदी के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होंगे।

निर्यात पर भी असर
प्लास्टिक बंदी का बड़ा असर निर्यात पर भी देखने को मिल सकता है। मुंबई और आसपास से बड़े पैमाने पर विदेश में कपड़ा भेजा जाता है। ये व्यापारी बारिश में प्लास्टिक की कई तहों के बीच कपड़ा रखते हैं। प्लास्टिक बंदी होने से अब उसके खराब होने का खतरा होगा।

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