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कारोबारियों की ‘हार’ के बीच ऐसे बदल रहा महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में 23 मार्च से एक बार इस्तेमाल वाले बैग्स, चम्मच, प्लेट्स, PET और PETE बोतलों और थर्मॉकोल उत्पादों के उत्पादन, इस्तेमाल, बिक्री, डिस्ट्रिब्यूशन और स्टोरेज पर बैन लगा दिया गया था। सरकार ने बैन लागू करने के लिए 23 जून तक का समय दिया था। इसका असर धीरे-धीरे देखने को मिल रहा है। बैन से न सिर्फ ग्राहकों बल्कि दुकानदारों और उद्योगों पर भी असर पड़ रहा है। उधर, कई लोगों ने प्लास्टिक की जगह दूसरे विकल्पों को अपनाना भी शुरू कर दिया है…
पुणे के एक रेस्तरां ने स्टील के टिफिन में खाना डिलिवर करना शुरू किया है। जो लोग रेस्तरां आकर टेक-अवे ऑर्डर लेकर जाते हैं, उन्हें 200 रुपये सिक्यॉरिटी जमा करनी होती है जो रिफंड हो जाती है।
मुंबई की एक दुकान पर ग्राहकों को प्लास्टिक बैन के बारे में सूचित करता हुआ बोर्ड। बता दें बैन के तहत पहली बार उल्लंघन होने पर 5000 रुपये जुर्माना, दूसरी बार 10,000 रुपये और तीसरी बार 25,000 रुपये जुर्माना और तीन महीने जेल हो सकती है।
प्लास्टिक के बैन होने से पेपर और अन्य विकल्पों के उद्योगों पर भी असर पड़ेगा। पेपर इंडस्ट्री में उछाल देखने को मिल सकता है। इसी तरह जूट बैग्स की मांग बढ़ने पर वहां भी व्यापार में बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि, रिपोर्ट्स के मुताबिक जूट की कीमतों के ज्यादा होने के कारण फिलहाल ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला है।
भले ही प्लास्टिक की जगह विकल्पों की बात की जा रही हो, हर जगह फिलहाल विकल्प न होने से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई जगहों पर लोग हाथों में जरूरी सामान लेकर जाने के लिए मजबूर हो गए हैं।
सबसे ज्यादा दिक्कत छोटे दुकानदारों को हो रही है। उनके पास अपने सामान को पैक करने का कोई विकल्प नहीं है। पानी और नमी से बचाने के लिए प्लास्टिक की पैकिंग जरूरी है। छोटे दुकानदारों के लिए महंगे विकल्पों का खर्च उठा पाना भी मुश्किल होता है। फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर असोसिएशन के अध्यक्ष वीरेन शाह ने सवाल किया था कि जब बड़े उत्पादकों को प्राथमिक पैकेजिंग के लिए प्लास्टिक के इस्तेमाल की छूट है, तो छोटे दुकानदारों को यह क्यों नहीं मिल रही है? उनका पूरा धंधा चौपट हो जाएगा।

मुंबई में प्लास्टिक के अंदर रखकर बारिश से सामान बचाती युवती। मुंबई में अचानक बारिश होने पर अक्सर लोग अपना जरूरी सामान प्लास्टिक में पैक करके बचाते थे। प्लास्टिक बैन से उन्हें इसके लिए भी विकल्प तलाशने होंगे। प्लास्टिक बैग्स मैन्युफैक्चरर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया के जनरल सेक्रटरी नीमित पुनमिया ने राज्य के व्यापारियों की परेशानी सामने रखते हुए बताया कि प्लास्टिक इंडस्ट्री को 15,000 करोड़ को घाटा हो सकता है। इसके अलावा कुछ ही दिन में 3 लाख लोगों की नौकरी भी खतरे में आ सकती है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे राज्य के जीडीपी में गिरावट आ सकती है।

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