मुंबई
बॉम्बे हाई कोर्ट ने गुरुवार को विचारक और सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे के कथित हत्यारों को पकड़ने में सरकार की असफलता को लेकर खूब खरी-खोटी सुनाई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने यहां तक कहा कि एजेंसी की जांच असंतोषजनक है। इतना ही नहीं कर्ट ने सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी करके अगली सुनवाई में उपस्थित होने को कहा है। न्यायमूर्ति एस.सी. धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति भारती डागरे की खंडपीठ ने इस हत्याकांड की सुनवाई के दौरान सीबीआई के जॉइंट डायरेक्टर और महाराष्ट्र सरकार के एडिश्नल चीफ सेकेट्री को अगली सुनवाई की 12 जुलाई को उपस्थित होने का निर्देश दिया है।
कोर्ट की यह सख्त टिप्प्णी तब आई जब कोर्ट में सीबीआई और सीआईडी ने इस केस की प्रगति रिपोर्ट दाखिल की। कोर्ट ने इस रिपोर्ट को देखकर कहा कि यह बहुत ही असंतोषजनक है।
इस केस में दोनों एजेंसियों के फेल होने पर कोर्ट ने कहा कि सीबीआई और सीआईडी का कहना है कि वे कर्नाटक पुलिस के साथ कॉर्डिनेट कर रहे हैं जो गौरी लंकेश और लेखक एमएम कलबुर्गी केस की जांच कर रही है। उनका दावा है कि उनकी नजर कुछ सस्थाओं और संगठनों पर है। फिर कर्नाटक पुलिस ने महाराष्ट्र से कैसे गिरफ्तारी की?
इसी महीने कर्नाटक के एसआईटी ने महाराष्ट्र के परशुराम वाघमारे को गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोप में गिरफ्तार किया था। कोर्ट ने कहा कि क्या यहां पर कॉर्डिनेशन की कमी है या अधिकारी हमारा सामने
क्या मोबाइल फोन रिकॉर्ड का पीछा करने के लिए अपनी जांच प्रतिबंधित करने से पहले समन्वय की कमी है या अधिकारियों ने अपनी जांच सिर्फ मोबाइल रिकॉर्ड तक ही सीमित रखी है। कोर्ट ने कहा कि उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए खुशी नहीं हो रही है लेकिन संबंधित अधिकारियों पर कोर्ट ने पहले भी सुनवाई में भी यह बात कही थी।
इन दोनों हत्याकांड की जांच को अधिकारी गंभीरता से नहीं ले रहे हैं जबकि कोर्ट खुद इन दोनों मामलों की निगरानी कर रही है।
कब हुई थी हत्याएं
-20 अगस्त 2013 में अगस्त महीने में नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की गई
-20 फरवरी 2015 को गोविंद पानसरे का कत्ल हो गया
-30 अगस्त को एक और बुद्धिजीवी एम.एम. कलबुर्गी की भी हत्या कर दी गई