मुंबई
राज्य सरकार की ओर से लिया गया प्लास्टिक प्रतिबंध का निर्णय शिवसेना की समूची कार्यशैली की तरह बिना सोचे-समझे लिया गया फैसला है। पहले एक फैसला लिया गया, उस पर अमल शुरू कर दिया गया और अब इस फैसले में बदलाव कर फिर से प्लास्टिक थैलियों के इस्तेमाल की इजाजत दी गई है। इसीलिए, जिनसे पहले सरकार ने दंड वसूला है, उनके पैसे वापस करने चाहिए। यह मांग कांग्रेस की ओर से पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता और महासचिव सचिन सावंत ने की है। सावंत ने कहा कि सरकार ने बिना सोचे-समझे प्लास्टिक बंदी का निर्णय ले लिया है। आम जनता को रोजमर्रा के काम में प्लास्टिक की जरूत पड़ती है। बरसात के दिनों में विद्यार्थी, नौकरी की तलाश में निकले युवा अपने दस्तावेज और प्रमाण पत्र सुरक्षित रखने के लिए प्लास्टिक की थैलियों का इस्तेमाल करते हैं। किसाम अपनी उपज की हिफाजत के लिए प्लास्टिक का उपयोग करते हैं। प्लास्टिक सस्ता होने के कारण आम जनता के लिए आर्थिक रूप से सुलभ है। प्लास्टिक पर संपूर्ण प्रतिबंध लागने से पहले सरकार ने इसके परिणामों पर विचार किया होता, तो लोगों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।
उन्होंने कहा कि सरकार ने किराना दुकानों को प्लास्टिक थैली के इस्तेमाल की छूट दी है। साथ ही प्लास्टिक थैलियां वापस लेने और सड़क पर न आने देने की जिम्मेदारी संबंधित दुकानदार पर थोपी गई है। दुकानदार इसे कैसे पूरा करेगा? यह भगवान ही जानता है। पर्यावरण की रक्षा के लिए प्लास्टिक पर प्रतिबंध लागने वाली सरकार कागज की थैलियों का विकल्प देकर पर्यावरण की रक्षा कैसे करेगी?