नई दिल्ली,मोदी सरकार ने आखिरकार किसानों से किया गया अपना वादा पूरा कर दिया है। केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में डेढ़ गुना की वृद्धि करके किसानों के लिए बड़ी सौगात की घोषणा कर दी। खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान के एमएसपी में 200 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है, जबकि प्रमुख दलहन मूंग का मूल्य 1400 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है। खरीफ की सभी 14 फसलों के लागत के साथ 50 फीसद लाभ मार्जिन जोड़कर एमएसपी घोषित किया गया है। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में बुधवार को लिया गया।
केंद्र सरकार ने चूंकि यह वायदा बजट में किया गया था, इसलिए इसकी प्रतीक्षा की जा रही थी कि खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य कब घोषित होते हैं? यह प्रतीक्षा इस जिज्ञासा के साथ हो रही थी कि सरकार की ओर से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत से सचमुच डेढ़ गुना होंगे या नहीं? आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की ओर से लिए गए फैसले की जानकारी देते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने यह रेखांकित किया कि खरीफ की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत से डेढ़ गुना ही हैं। चूंकि न्यूनतम समर्थन मूल्य की गणना करते समय खेती के सभी खर्चों समेत किसान परिवार के श्रम के मूल्य का भी आकलन करके कुल लागत में 50 फीसद लाभांश जोड़ा गया है, इसलिए फैसले पर विवाद की गुंजाइश कम है, लेकिन यह तय है कि विपक्षी नेता कुछ न कुछ आपत्ति जताएंगे।
महत्वपूर्ण यह नहीं है कि इस बड़े और बहुप्रतीक्षित फैसले पर विपक्षी दल क्या कहते हैं? महत्व इसका है कि किसान संतोष प्रकट करते हैं या नहीं? किसानों को यह लगना चाहिए कि खेती अब घाटे का सौदा नहीं रही। कृषि उपज की खरीद के बाद किसानों के हाथ इतना पैसा आवश्यक है कि वे अपनी आम जरूरतें पूरी कर सकें और साथ ही अपना जीवन-यापन बेहतर तरीके से करने को लेकर निश्चिंत हो सकें। ऐसा होने पर ही उनके बीच खुशहाली का संचार होगा और गांवों में समृद्धि की झलक दिखेगी।
नि:संदेह केवल इतना ही पर्याप्त नहीं कि केंद्र सरकार ने जैसा कहा वैसा किया और इस क्रम में धान, कपास, दलहन, तिलहन समेत खरीफ की 14 फसलों के डेढ़ गुने न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर दिए। केंद्र सरकार के साथ ही राज्यों को इसकी व्यवस्था भी करनी होगी कि घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही कृषि उपज की खरीद हो और किसानों को पैसा समय पर मिले।
वक्त की मांग और जरूरत पूरी करने वाले इस फैसले के साथ ही यह भी महसूस किया जाना चाहिए कि फसलों की खरीद लाभकारी मूल्य पर करने भर से खेती की दशा में सुधार नहीं होने वाला। खेती की उन्नत बनाने के लिए अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है। एक तो यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि किसान आधुनिक ढंग से खेती करें और दूसरे यह देखा जाना चाहिए कि कृषि पर आबादी की निर्भरता घटे। यह भी ध्यान रहे कि अभी खाद्यान्न के साथ-साथ फल-सब्जियों के भंडारण और उन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने की भी कोई ठोस व्यवस्था करना शेष है। इसी तरह कृषि उपज की खरीद-बिक्री की समुचित व्यवस्था का निर्माण भी बाकी है। ये शेष काम होने पर ही वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य हासिल हो सकेगा।