नागपुर
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को राज्य विधानसभा से कहा कि संभाजी भिड़े के उस कथित बयान की जांच कराई जाएगी, जिसमें उन्होंने कहा था कि मनुस्मृति, ज्ञानेश्वर और तुकाराम जैसे संतों की शिक्षाओं से ऊपर है। दक्षिणपंथी संगठन शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के प्रमुख भिडे इस साल एक जनवरी में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई के 200 साल पूरे होने पर दलितों के खिलाफ हिंसा को उकसाने के आरोपी हैं। हालांकि उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपों का खंडन किया है।
फडणवीस ने सदन में कहा कि उनकी सरकार संविधान और ज्ञानेश्वर तथा तुकाराम जैसे श्रद्धेय संतों की शिक्षाओं से बंधी हुई है। उन्होंने कहा कि मनुस्मृति का समर्थन करने का कोई सवाल ही नहीं है। उन्होंने कहा, ‘इस बात की जांच कराई जाएगी कि क्या कोई असंवैधानिक या अवैध टिप्पणी की गई। इसके बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। हम संविधान और संत तुकाराम और संत ज्ञानेश्वर की शिक्षाओं से बंधे हुए हैं।’
सदन में यह मुद्दा एनसीपी नेता अजीत पवार ने उठाया। उन्होंने कहा कि भिड़े का बयान निंदनीय है। पवार ने युवाओं को कथित तौर पर भड़काने के लिये भिड़े की गिरफ्तारी की भी मांग की। विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा कि इस तरह का ध्रुवीकरण राज्य के लिये सही नहीं है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में भिड़े को क्लीन चिट दी थी। विखे पाटिल ने जानना चाहा कि क्या सरकार भिड़े के बयानों से सहमत है या उसकी मंशा उन्हें रोकने की है। इस साल की शुरुआत में पेशवा से युद्ध में जीत पर भीमा-कोरेगांव में स्थित स्मारक पर जश्न के दौरान हिंसा भड़क उठी थी।