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उंगली के अंत‍िम संस्‍कार के ल‍िए पर‍िजन लगा रहे थाने के चक्‍कर

मुंबई
इसी साल जनवरी महीने में बीएमसी के नायर अस्पताल में हुए एमआरआई हादसे के 6 महीने बाद भी मृतक राजेश मारू की उंगली परिवार वालों को नहीं मिली है। उंगली के लिए परिवार वाले अस्पताल, पुलिस स्टेशन के चक्कर लगा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, मारू की उंगली कालिना स्थित फरेंस‍िक लैब में रखी है। मारू के रिश्तेदार हरीश सोलंकी ने बताया, ‘उंगली पाने के लिए हम महीने से एक से दूसरी जगह चक्कर लगा रहे हैं। इस बारे में हम अस्पताल से लेकर संबंधित सभी संस्थानों पर जा रहे हैं, जहां से हमें उंगली के बारे में कुछ पता चल सके। हमें बताया गया कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक इंतजार करना होगा।’

उंगली का होगा अंतिम संस्कार
मारू की उंगली का उनका परिवार अंतिम संस्कार करना चाहता है। इसी बीच, कालिना स्थित फरेंस‍िक लैब से एक बड़ी बात सामने आई है। लैब से मिली जानकारी के अनुसार, मारू की उंगली डीएनए अनैलेसिस के लिए लाई गई थी। अनैलेसिस के रिपोर्ट भेज गई है, लेकिन उंगली के लिए अभी तक कोई नहीं आया, जिससे वह लैब में पड़ी है।

यह था मामला
जनवरी 2018 में मुंबई के नायर अस्पताल की लापरवाही के चलते 32 वर्षीय युवक राजेश मारू की एमआरआई में फंसकर मौत हो गई थी। राजेश अपनी मां से अस्पताल में मिलने गये थे। अस्‍पताल में राजेश से एमआरआई रूम में ऑक्सिजन सिलिंडर ले जाने को कहा गया। वह जैसे ही कमरे में गए मैग्नेटिक पावर के चलते मशीन ने अपनी तरफ खींच लिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इससे हाथ में पकड़ा हुआ सिलिंडर खुल गया और उसकी गैस मुंह के जरिए राजेश के पेट में चली गई। बेहद नाजुक हालत में राजेश को ट्रॉमा सेंटर लाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।

क्या है एमआरआई
एमआरआई, जिसे मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग यानी चुंबकीय अनुनाद प्रतिबिंबन भी कहते हैं, एक मेडिकल इमेजिंग तकनीक है, जिसके जरिए डॉक्टर शरीर के अंदर के अंगों का चित्र प्राप्त करते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस तकनीक का इस्तेमाल खासकर ब्रेन, स्पाइन और हड्डियों के जोड़ों में होने वाली परेशानियों का पता लगाने के लिए किया जाता है। रेडियोलॉजिस्ट के अनुसार, अब इसका इस्तेमाल लिवर, किडनी, दिल, किडनी सहित कई तरह की बीमारियों का पता लगाने के लिए किया जाता है।
बंद नहीं होती मशीन
इंडियन रेडियोलॉजी ऐंड इमेजिंग असोसिएशन के महाराष्ट्र ब्रांच के पूर्व अध्यक्ष डॉक्टर शैलेंद्र सिंह ने कहा कि कंप्यूटर से एमआरआई मशीन बंद होने के बाद भी इसका चुंबकीय प्रभाव बंद नहीं होता। मशीन बंद होने के बाद भी अगर कोई मेटल ऑब्जेक्ट (धातु) लेकर मशीन के पास पहुंचता है, तो मशीन उसे अपनी ओर खींच लेगी। एमआरआई मशीन का चुंबकत्व बेहद शक्तिशाली होता है। विशेषज्ञों के अनुसार, एमआरआई मशीन अपने आस-पास इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड बनाती है। आजकल एमआरआई के लिए 1.3 से 3 टैक्सला मशीन इस्तेमाल हो रही है। इसमें पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण ताकत से 20 से 40 हजार गुना ज्यादा तेजी से चीजों को खींचने की शक्ति होती है। एमआरआई मशीन मिसाइल जितनी स्पीड से लोहे को अपनी ओर खींचती है। ऐसे में अगर सिलिंडर हो, वह भी किसी शख्स के हाथ में तो मशीन उसे और भी तेजी से खींच लेगी।

इमर्जेंसी स्वीच करें इस्तेमाल
डॉक्टर शैलेंद्र सिंह ने बताया कि एमआरआई मशीन में बहुत उच्च शक्ति के चुंबक लगे होते हैं। एक बार मैग्नेट इंस्टॉलेशन के बाद जब तक उसे पूरी तरह बंद नहीं किया जाए, मैग्नेट सक्रिय रहता है। मशीन के रखरखाव के लिए उसमें हीलियम गैस लगती है, जिसका खर्च बहुत अधिक होता है, ऐसे में मशीन को बार-बार बंद नहीं किया जाता। मशीन को केवल कंप्यूटर से बंद किया जाता है। हालांकि कंप्यूटर से बंद होने के बाद भी मशीन में चुंबकीय प्रभाव खत्म नहीं होता। किसी भी तरह की इमर्जेंसी के दौरान मशीन में एक आपातकालीन बटन दिया जाता है, जिसके बंद करने से मशीन पूरी तरह बंद हो जाती है।

पहले भी हुए हादसे
यह पहली बार नहीं है, जब एमआरआई मशीन ने किसी को अपनी तरफ खींचा हो। इसके पहले, 2014 में टाटा अस्पताल की खारघर स्थित ब्रांच में भी एक टेक्निशन और वॉर्ड बॉय ऑक्सिजन सिलिंडर के कारण मशीन में घंटों फंसे रहे थे। इस दौरान उन्हें काफी चोटें भी आई थीं। ऐसा ही एक हादसा एक महिला के साथ हुआ। एमआरआई रूम में जाने से पहले एक महिला मरीज ने अपना हेयरपिन नहीं निकाला था। मैग्नेटिक फील्ड के संपर्क में आते ही वह हेयरपिन महिला के बालों से निकलकर नाक से होते हुए उसके गले में जा फंसा। महिला की जान बचाने के लिए उसकी सर्जरी करनी पड़ी थी। 2000 में न्यू यॉर्क में भी ऐसा ही एक हादसा हुआ था। एक पुलिस ऑफिसर एमआरआई मशीन के पास खड़ा था। मैग्नेटिक फील्ड के संपर्क में आते ही ऑफिसर की बंदूक उसके हाथ से अपने आप छूट गई और उससे गोली भी चल गई। राहत की बात यह थी कि गोली सामने वाली दीवार पर लगी और कोई घायल नहीं हुआ।
एमआरआई कक्ष में रखें इन बातों का ध्यान
एमआरआई कक्ष में जाने से पहले किसी भी तरह का मेटल (धातु) न रखें साथ
वॉल्व रिप्लेसमेंट सर्जरी कराने के तुरंत बाद न कराएं एमआरआई
ऐसे मरीज, जिन्हें पेस मेकर लगा हुआ है उनकी एमआरआई नहीं होती
क्रेडिट या डेबिट कॉर्ड लेकर भी न जाएं एमआरआई कक्ष में
किसी भी तरह की आपात स्थिति में मशीन में लगे इमर्जेंसी बटन का करें इस्तेमाल

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