मुंबई
दोस्तों की संगत में कोकेन की लत का शिकार हुए पंजाब निवासी 26 वर्षीय इंजिनियर को साढ़े 7 साल के उपचार के बाद नई जिंदगी मिली है। घाटकोपर पुलिस ने एक मामले में पकड़े गए मानसिक बीमार इंजिनियर सनी कोहली (बदला हुआ नाम) को 2011 में ठाणे स्थित प्रादेशिक मनोरुग्णालय में भर्ती कराया था। अस्पताल के डाक्टरों ने स्वयंसेवी संस्था नैप्च्यून फाउंडेशन की मदद से सनी का इलाज किया। डॉक्टरों ने मानसिक रूप से ठीक हुए कोहली से धीरे-धीरे पूछताछ की, तो उसने पंजाब का पता दिया। फाउंडेशन ने सनी के पंजाब स्थित घर वालों का पता लगाया और अब वह परिजन के बीच पहुंचेगा। कोहली को पंजाब वापस पहुंचाने का खर्च संस्था की तरफ से वाहन किया जाएगा।
यूं बना कोकेन का शौकीन
अस्पताल और संस्था के पदाधिकारी सुरेश कदम से मिली जानकारी के अनुसार, पंजाब के मोगा शहर का रहने वाला सनी इंजिनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी के लिए 2001 में मुंबई आया था। यहां सनी को अच्छी कंपनी में नौकरी मिल गई और वह मुंबई के घाटकोपर में रहने लगा। वहां उसके कई दोस्त बन गए थे, जिनमें से कुछ नशेड़ी थे। उन दोस्तों की संगत में सनी भी थोड़ा-थोड़ा कोकिन लेने लगा था और देखते-देखते कोकेन का आदी हो गया। नशे की लत के चलते उसकी नौकरी छूट गई। आर्थिक रूप से कमजोर होने पर जब ‘खुराक’ नहीं मिली, तो वह अपराधी प्रवृति का हो गया था। धीरे-धीरे मानसिक बीमार हो गया।
झगड़े ने पहुंचाया हवालात
2011 में एक दिन सनी की किसी व्यक्ति से कहा-सुनी हो गई। मारपीट के दौरान सनी ने उसे पत्थर से घायल कर दिया था। घायल युवक ने घाटकोपर के भटवाडी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया दिया। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद सामने आया कि सनी मानसिक बीमार है। एक पुलिस अधिकारी की पहल पर सनी को ठाणे के मनो रुग्णालय में भर्ती कराया गया।
सिर्फ शहर का नाम था याद
अस्पताल के मनोचिकित्सकों की मदद से सनी से उसके घर वालों के बारे में पूछताछ की गई। सनी को अपने गांव का पता पूरी तरह याद नहीं आ रहा था, लेकिन उसने पंजाब के मोगा शहर का नाम याद था। छोटी से जानकारी के आधार पर फाउंडेशन ने पंजाब में संपर्क किया और खोजबीन के बाद सनी के घरवाले मिल गए। पंजाब में सनी के माता-पिता को उनके बेटे के बारे में जानकारी दी गई। जल्द ही आवश्यक कागजी कार्रवाई के बाद अस्पताल से उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।