नई दिल्ली
बिहार के मुजफ्फरपुर में बालिका गृह की बच्चियों से रेप के मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान ले लिया है। गुरुवार को देश की सर्वोच्च अदालत ने बच्चियों के साथ हुई इस दरिंदगी पर केंद्र सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, बिहार सरकार और टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस को नोटिस भेजा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की रिपोर्टिंग कर रही मीडिया को भी कुछ खास निर्देश दिए हैं। आपको बता दें कि इस मामले में पटना से एक शख्स ने सुप्रीम कोर्ट को खत लिख संज्ञान लेने की दरख्वास्त की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस वारदात को शॉकिंग बताते हुए इस मामले को उजागर करने वाले टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस को पूरी रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। मीडिया को सख्त ताकीद की गई है कि बच्चियों की तस्वीर सामने नहीं आनी चाहिए। यहां तक कि ब्लर करके भी नहीं। इसके अलावा किसी भी पीड़ित बच्ची के इंटरव्यू पर भी रोक लगाई गई है। सुप्रीम कोर्ट ने हैवानियत वाले इस कांड में ऐडवोकेट अपर्णा भट्ट को एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त किया है।आपको बता दें कि बिहार में मानवता को शर्मसार करने वाली इस वारदात के बाद राजनीतिक घमासान मचा हुआ है। मुजफ्फरपुर मामले पर गुरुवार को बिहार में वामपंथी दलों ने बंद बुलाया है। बंद को आरजेडी और कांग्रेस ने भी अपना समर्थन दिया है। लेफ्ट पार्टियां बालिका गृह मामले में सीएम नीतीश कुमार से इस्तीफा की मांग कर रहे हैं। इससे पहले पूर्व डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी इस घटना के विरोध में साइकल रैली भी निकाल चुकी है।
उधर, सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है। सीबीआई ने कहा है कि नाबालिग लड़कियों से बालिका गृह के कर्मियों द्वारा बलात्कार किए जाने के मामले में गहन फरेंसिक जांच कराई जाएगी। सीएफएसएल की एक टीम जल्द ही मुजफ्फरपुर जाकर आश्रय गृह से फरेंसिक नमूने इकट्ठा करेगी। अधिकारियों ने बताया कि पीड़िताओं के बयानों का इस्तेमाल कर समझने की कोशिश की जाएगी कि अपराध को कैसे अंजाम दिया। फिर इस ब्योरे का इस्तेमाल आरोपियों पर मुकदमा चलाने के लिए किया जाएगा। सीबीआई पीड़िताओं के बयान दर्ज करने के लिए मनोवैज्ञानिकों की मदद ले सकती है। कुछ पीड़िताओं की उम्र महज छह-सात साल है। आरोप है कि बिहार सरकार द्वारा वित्तपोषित एनजीओ के प्रमुख ब्रजेश ठाकुर ने आश्रय गृह की करीब 34 लड़कियों से कथित तौर पर बलात्कार किया। मुंबई स्थित टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस्स) की ओर से अप्रैल में बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग को एक रिपोर्ट सौंपी गई थी जिसमें पहली बार इस आश्रय गृह में रह रही लड़कियों से कथित रेप की बात सामने आई थी।
इस मामले में बीते 31 मई को ब्रजेश ठाकुर सहित 11 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अब सीबीआई ने इस मामले की जांच संभाल ली है। इस बीच पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह दुष्कर्म मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश कुमार ठाकुर की प्रेस मान्यता रद्द कर दी है। पीआईबी ने संबंधित मंत्रालयों और विभागों से भी अनुरोध किया है कि वे पीआईबी कार्ड के आधार पर ठाकुर को उपलब्ध कराई गई सुविधाएं वापस ले लें। इन सुविधाओं में केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना सुविधा, सरकारी आवास और रेलवे पास शामिल हैं।