मुंबई
शिवसेना के साथ रिश्तों में तनातनी और मराठा आंदोलन के बीच महाराष्ट्र के सांगली-मिरज-कुपवाड महानगरपालिका के चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के गठबंधन को करारी शिकस्त दे दी। कांग्रेस-एनसीपी के गढ़ समझे जाने वाले इस क्षेत्र में अप्रत्याशित हार से राज्य यूथ कांग्रेस के चीफ विश्वजीत कदम को तगड़ा झटका लगा है। सांगली से ताल्लुक रखने वाले कदम और एनसीपी चीफ जयंत पाटिल ने इस चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया था। सांगली महानगर पालिका के निर्माण के बाद से ही कांग्रेस और एनसीपी का वहां पर शासन रहा है। इस शानदार जीत के बाद राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘महाराष्ट्र पिछले कई दशक से कई समस्याओं से जूझ रहा है। मैं इन्हें सुलझाने की कोशिश कर रहा हूं।’
ऐसे ढहाया कांग्रेस का गढ़
फडणवीस ने कहा, ‘विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हमने बड़े अंतर से चुनाव जीता है। यह पीएम मोदी में लोगों का विश्वास दर्शाता है। लोगों ने हमारे विकास के मॉडल को स्वीकार किया है।’ नगर निकाय चुनाव की घोषणा के बाद फडणवीस ने जलगांव की जिम्मेदारी जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन और सांगली की पीडब्ल्यूडी मंत्री चंद्रकांत पाटील को दी थी।
महाजन और पाटील दोनों ने ही अपने-अपने इलाके में दौरा किया और जमीनी स्तर पर रणनीति तैयार की। जलगांव महानगरपालिका में भी पिछले 35 साल से कब्जा जमाए बैठे खानदेश विकास आघाडी के सुरेश दादा जैन का सफाया करना बीजेपी के लिए आसान नहीं था। इस जीत के रणनीतिकार महाजन ने सुरेश दादा को हराने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। महाजन ने सुरेश दादा को हराने के लिए चुनाव से पहले अपने कम से कम छह जैन विश्वासपात्रों को मैदान में उतार दिया। इनमें से कई ने बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज की। जीत के बाद महाजन ने कहा, ‘लोगों ने सुरेशा दादा के नेतृत्व को खारिज कर दिया। अब शहर की आर्थिक स्थिरता को बहाल करना और शहर को साफ रखना हमारे लिए बड़ा चैलेंज है। हम एक साल के अंदर बदलाव करके दिखाएंगे।’
उत्तरी महाराष्ट्र में बीजेपी के नेता बनकर उभरे महाजन
इस चुनाव के दौरान महाजन ने स्थानीय कद्दावर नेता और अपने राजनीतिक विरोधी एकनाथ खडसे को भी साइड लाइन कर दिया। अब वह उत्तरी महाराष्ट्र में खडसे की जगह पर बीजेपी के नेता बनकर उभरे हैं। महाजन ने कहा कि उनकी पार्टी छह सीटों पर मात्र 10 से 20 वोटों से हारी है। उन्होंने कहा कि लोगों ने सीएम फडणवीस के विकास के अजेंडे पर भरोसा किया है।
सांगली में चंद्रकांत पाटील ने चुनाव से एक साल पहले ही जीत की योजना बनानी शुरू कर दी थी। पार्टी ने बूथ लेवल कमिटी का गठन किया था ताकि हरेक वोटर तक पहुंचा जा सके और बीजेपी के विकास कार्यों के बारे में बताया जा सके। इसके अलावा उन्होंने कांग्रेस और एनसीपी के 29 स्थानीय नेताओं को पार्टी से जोड़ा। इनमें से कई लोगों को जीत भी मिली। महाजन और पाटील की इस विजय रणनीति से कांग्रेस और एनसीपी को हार का मुंह देखना पड़ा।