मुंबई
मुंबई की एक मैजिस्ट्रेट कोर्ट में एक 35 साल के शख्स को छेड़खानी के अपराध में महज 5 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई गई। हैरानी की बात यह है कि कोर्ट ने दोषी को इसके अलावा और कोई सजा नहीं दी जबकि आईपीसी की धारा के तहत यौन उत्पीड़न पर 3 साल की जेल निर्धारित है। आरोपी नरेश बेतकर को दोषी करार देते हुए मैजिस्ट्रेट ने कहा, ‘मामले की प्रकृति और समाज को देखते हुए न्याय के लिए उसे केवल आर्थिक दंड दिया जाएगा।’ पीड़ित महिला ने कोर्ट को बताया कि मामला 30 मई 2015 को शाम करीब सवा सात बजे का है। वह अपने ऑफिस से घर लौट रही थी। जब वह अपनी बिल्डिंग की तरफ जा रही थी तभी नरेश उसकी तरफ आया और उसके साथ छेड़छाड़ की।
महिला ने बताया कि उसने चिल्लाकर आस-पास के लोगों से मदद मांगी। इतने में स्थानीय निवासी और राहगीरों ने आकर आरोपी शख्स की पिटाई करनी शुरू कर दी। महिला ने बताया कि उसने भी आरोपी की पिटाई की। इसके बाद भीड़ ने नरेश को गामदेवी पुलिस स्टेशन लेकर गई जहां महिला ने शिकायत दर्ज कराई।
नरेश ने मामले के चश्मदीद के रूप में अपने चचेरे भाई को पेश किया। उसने बताया कि उन दोनों ने शराब नहीं पी रखी थी। उसने बताया कि वह दोनों जल्दी में थे और नरेश अनजाने में महिला से टकरा गया। उसने बताया कि नरेश ने तुरंत महिला से माफी भी मांगी लेकिन महिला ने उसे पीटना शुरू कर दिया और भीड़ ने भी मारपीट की।
मामले में अपना आदेश सुनाने के बाद कोर्ट ने कहा कि चाहे भीड़ हो या महिला, किसी के भी लिए आरोपी को पीटना गैरकानूनी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि आरोपी का कहना है कि वह और उसका भाई घर पहुंचने की जल्दी में था लेकिन इसका यह कतई मतलब नही हैं कि किसी का उत्पीड़न हो या किसी को परेशानी दी जाए। यह बोलते हुए कोर्ट ने आरोपी पर 5 हजार रुपये जुर्माना लगाया।