मुंबई
कुख्यात डॉन दाऊद इब्राहिम के करीबी गुर्गे मुन्ना झिंगाड़ा को बैंकॉक की एक अदालत ने भारतीय नागरिक करार दिया है। इससे अब उसके भारत आने का रास्ते साफ हो गया है। पाकिस्तानी अधिकारी थाइलैंड के साथ प्रत्यर्पण संधि के तहत मुन्ना के पाकिस्तान प्रत्यर्पण के लिए काम करते रहे लेकिन भारत ने थाइलैंड के कोर्ट में उसे भारतीय साबित कर दिया और पाक के मंसूबे फेल हो गए। सूत्रों के मुताबिक कोर्ट में पाकिस्तान झिंगाड़ा के पासपोर्ट के आधार पर यह साबित करने की कोशिश करता रहा कि वह पाकिस्तानी नागरिक है। दरअसल, झिंगाड़ा पाकिस्तानी पासपोर्ट पर ही थाइलैंड पहुंचा था। उसमें उसका नाम मोहम्मद सलीम लिखा था। आठ साल तक यह मामला थाई प्रशासन के सामने चलता रहा। यहां तक कि पाकिस्तान की ओर से फर्जी स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट भी जमा किया गया।
इधर, भारत ने पुख्ता सबूत जुटाकर उसे भारतीय नागरिक साबित कर दिया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कोर्ट के सामने भारत के दस्तावेजों से यह साबित करना मुमकिन हो सका। उन्होंने बताया कि झिंगाड़ा का छोटा राजन की हत्या का प्लान बनाना साबित करता है कि वह भारतीय है। डीएनए, फिंगर प्रिंट्स से जीता केस
अधिकारी का कहना है, ‘हमने फिंगर प्रिंट्स के सबूतों से बैंकॉक कोर्ट में पाकिस्तान का खेल खत्म किया। 18 साल पहले छोटा राजन पर हमले के बाद जब मुन्ना वहां गिरफ्तार हुआ था, तब मुंबई क्राइम ब्रांच की शंकर कांबले, हेमंत देसाई और सुधाकर पुजारी की टीम बैंकॉक गई थी। पाकिस्तान ने अब बैंकाक कोर्ट में कहा कि मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम ने तब झिंगड़ा के फिंगर प्रिंट्स जबरन लेकर उसे अपना नागरिक बताया था।’
मुंबई क्राइम ब्रांच ने बैंकॉक शूटआउट से बहुत पहले के केसों के दौरान मुंबई में अलग-अलग पुलिस स्टेशनों में लिए गए झिंगाड़ा के फिंगर प्रिंट्स बैंकॉक की अदालत को दिए। झिंगाड़ा के माता-पिता के ब्लड सैंपल्स की डीएनए रिपोर्ट भी बैंकॉक कोर्ट में मुंबई क्राइम ब्रांच के पक्ष में गई। इसके अलावा उसके गिरोह से जुड़ने, स्कूल से सर्टिफिकेट, राशन और वोटिंग कार्ड की मदद ली गई। यहां तक कि उसके परिवार के डीएनए सैंपल्स तक जमा कर दिए गए। इससे केस को काफी मजबूती मिली।
एक सीनियर आईपीएस अधिकारी का कहना है कि पाकिस्तान के झिंगाड़ा को भारत लाने की कोशिश करने से यह साबित हो गया है कि पाक सरकार आईएसआई और दाऊद इब्राहिम का समर्थन कर रही है। सूत्रों के मुताबिक मुंबई पुलिस और भारत सरकार के लगातार प्रयासों के कारण यह सफलता मिल सकी है।