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अपहरण-रेप के दोषी को 7 साल की सजा, कोर्ट ने कहा- पीड़िता की मर्जी ‘कानून की नजर में मर्जी नहीं’

ठाणे
ठाणे की एक अदालत ने एक किशोरी के अपहरण और बलात्कार के जुर्म में 27 वर्षीय व्यक्ति को सात साल की जेल की सजा सुनाते हुए कहा कि नाबालिग पीड़िता की मर्जी ‘कानून की नजर में मर्जी नहीं होती है।’ अभियोजन पक्ष ने कहा कि घटना के समय पीड़िता की उम्र 16 वर्ष थी। वह नवी मुंबई के बेलापुर में अपनी आंटी के घर से लापता हो गई थी जहां वह बचपन से रह रही थी। ह 18 जून 2016 को सार्वजनिक शौचालय जाने के लिए घर से निकली थी। लड़की का पता ना चलने पर उसके परिवार के सदस्यों ने अगले दिन अपहरण की शिकायत दर्ज कराई। अभियोजन पक्ष ने कहा कि जब पीड़िता अपने घर से बाहर निकली तो दिहाड़ी मजदूर रोहित रमेश कदम ने उसका अपहरण कर लिया और उसे पड़ोसी रायगढ़ जिले में अलीबाग लेकर गया, जहां एक लॉज के कमरे में उससे बलात्कार किया।

पीड़िता ने दी अदालत में यह दलील
बाद में वह पीड़िता को पुणे और कर्नाटक लेकर गया और दोनों 25 जून को नवी मुंबई लौट आए। पुलिस ने 26 जून 2016 को पीड़िता का बयान दर्ज किया और उसे चिकित्सा जांच के लिए एक अस्पताल में भेज दिया। इसके बाद व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया और उसके खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 376, 363 और 366 और पॉक्सो कानून के तहत मामला दर्ज किया।

बहरहाल, आरोपी ने अदालत को बताया कि लड़की अपनी मर्जी से उसके साथ जाना चाहती थी क्योंकि उसके परिवार के सदस्य किसी दूसरे व्यक्ति से उसकी शादी करना चाहते थे जिसे वह पसंद नहीं करती थी। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जिला न्यायाधीश पी. पी. जाधव ने कहा कि आरोपी पीड़िता को अलीबाग में एक लॉज में लेकर गया और उससे शारीरिक संबंध बनाए। अदालत ने कहा कि ‘पीड़िता की उम्र को देखते हुए उसकी मर्जी कानून की नजर में मर्जी नहीं है।’

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