मुंबई
आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए राजनीतिक पार्टियों ने मोर्चेबंदी शुरू कर दी है। इसके लिए रणनीतिक बैठकों का सिलसिला शुरू हो गया है। ज्यादातर राजनीतिक पार्टियां गणेशोत्सव से पहले चुनावी रणनीति का पहला चरण पूरा कर लेना चाहती है। क्योंकि अगले महीने 10 दिन का गणेशोत्सव, उसके बाद शारदीय नवरात्र फिर दशहरा और दिवाली का फेस्टिवल सीजन शुरू होते ही कार्यकर्ता और आम जनता उसमें व्यस्त हो जाएंगे। इसी बात को ध्यान में रखकर मंगलवार को कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की मुंबई में खास बैठकें हुईं। जबकि बीजेपी की दिल्ली में बैठक हुई।
शरद पवार को लगता है फरवरी-मार्च में होंगे चुनाव
एनसीपी प्रमुख शरद पवार को लगता है कि फरवरी-मार्च में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हो सकते हैं। यह बात उन्होंने मंगलवार को हुई पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं की बैठक में कही। आगामी चुनावों की रणनीति पर चर्चा के लिए पवार ने यह बैठक बुलाई थी। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को चुनावी तैयारियां शुरू करने को कहा। इससे पहले वह सोमवार को अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से चुनावी समीकरणों पर चर्चा कर चुके थे।
आगामी चुनावों से संबंधित राष्ट्रीय रणनीति तय करने के लिए दिल्ली में पार्टी की विस्तारित कार्यकारिणी की बैठक चल रही है। खबर है कि एनसीपी इस बार राज्य में कांग्रेस के साथ गठबंधन में लोकसभा की सीटों का फिफ्टी-फिफ्टी सीटों के बंटवारे के लिए दबाव बनाएगी। इसके लिए एनसीपी 2014 के चुनाव नतीजों को आधार बनाएगी। 2014 में एनसीपी के चार और कांग्रेस के दो उम्मीदवार चुनाव जीते थे। वहीं विधानसभा में कांग्रेस के 42 और एनसीपी के 41 विधायक हैं। पार्टी को लग रहा है कि इस बार कांग्रेस को दबाया जा सकता है।
एकला चलो के मूड में शिवसेना
शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में मंगलवार को शिवसेना भवन में पार्टी नेताओं, जनप्रतिनिधियों और संगठन के प्रमुख पदाधिकारियों हुई। इस बैठक में उद्धव ठाकरे ने एक बार फिर अकेले पर चुनाव लड़ने की बात दोहराई। बैठक में उद्धव ठाकरे ने अपने कैडर के साथ इस बात पर चर्चा की कि अगर 2019 से पहले चुनाव होते हैं, तो पार्टी की तैयारी किस स्तर पर हैं। उन्होंने बैठक में शामिल विधायकों, सांसदों, नगरसेवकों, पार्टी पदाधिकारियों समेत शिवसैनिकों को जनसंपर्क बढ़ाने को कहा। बैठक में ठाकरे ने कहा कि लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के बारे में अब तक चुनाव आयोग की भूमिका साफ नहीं है। इसलिए पार्टी को हर स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।